Flood In Ballia : सरयू का तेवर तल्ख, रिंग बंधे में रिसाव से मचा हड़कंप, अधिकारियों संग पहुंची डीएम

Flood In Ballia : सरयू का तेवर तल्ख, रिंग बंधे में  रिसाव से मचा हड़कंप, अधिकारियों संग पहुंची डीएम

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अजीत पाठक
सिकन्दसुर, बलिया। लखीमपुर खीरी स्थित गिरजा बैराज से 7.68 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने से सरयू (घाघरा) का जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। सिकन्दरपुर तहसील क्षेत्र के डूहा-विहरा, कठौड़ा, निपनिया व खरीद में बाढ़ का पानी घुसने से हालात काफी बिगड़ गया है। अनवरत बढ़ते जलस्तर से तटवर्ती इलाकों के लोगों की धड़कने बढ़ गई है। उधर, विहरा में रिंग बंधे में शुक्रवार की सुबह रिसाव शुरू होने के बाद इलाके में खलबली मच गई। लोगों के जेहन में 1998 की भयावहता उभर आई। ग्रामीण अपने स्तर से रिसाव को रोकने का प्रयास शुरू कर दिये। वहीं बंधे में रिसाव की सूचना मिलते ही प्रशासनिक अमला भी सक्रिय हो उठा। विभागीय अधिकारियों के साथ जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल तत्काल बिहरा पहुंच गई। 

स्थलीय निरीक्षण कर डीएम ने आवश्यक दिशा निर्देश दिए। बढ़ते जलस्तर और दवाव को देखते हुए रिसाव रोकने के लिए युद्ध स्तर से कार्य शुरू कर दिया गया है। बालू और गिट्टी डालकर रिसाव को तत्काल रोक दिया गया है। उधर नदी के रुख को देखकर ग्रामीण काफी दहशत में हैं। वहां के निवासी दिनेश राजभर, अजय सिंह, मीना देवी, बालजीत ने बताया कि बीती रात से जल स्तर काफी तेजी से बढ़ रहा है। यदि स्थिति रही तो हालात काफी बदतर हो जाएगी। वजह की देवरिया में ठोकर के निर्माण के बाद नदी के बहाव विहरा के तरफ हो गया है। जिसके चलते खतरा काफी बढ़ गया है। 

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उधर बेल्थरारोड तहसील क्षेत्र के हल्दीरामपुर के पुरवा रामपुर में सरयू का जल स्तर बंधे के बराबर हो गया है, जिससे लोगों की धुकधुकी बढ़ गई है। वहीं लीलकर व सिसोटार गांव के समीप रिंग बंधे पर दरार पड़ गया है। इससे सम्बंधित गांवों खलबली मच गई है। हालांकि इसकी जानकारी होने पर ग्रामीणों ने तत्काल विभागीय अधिकारियों को सूचना दी और अपने स्तर से उसे ठीक करने में जुट गए। जिलाधिकारी के साथ एसपी राज करन नय्यर, अधिक्षण  अभियंता बाढ़खंड संजय कुमार मिश्र, अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड प्रथम बलिया सीबी पटेल, सहायक अभियंता इंद्रासन कुमार गौतम, संबंधित जेई राजेश कुमार राव व गणेश यादव भी मौजूद रहे।

टापू बना कठौड़ा का मल्लाह बस्ती, बंधे पर शरण लिए लोग

सरयू के जलस्तर में बढ़ाव के कारण तहसील सिकन्दरपुर के कठौड़ा स्थित मल्लाह बस्ती और निपनिया गांव के दर्जनों परिवार बंधे पर शरण लेने को मजबूर हो गए हैं। सबसे ज्यादे खराब स्थिति कठौड़ा के मल्लाह बस्ती की है। यहां के ढाई दर्जन घरों में करीब 2 फ़ीट पानी घुस गया है। इससे शिवरतन, नवरंगी, सुकई, प्रह्लाद, दूधनाथ, बजरंगी, शिवबजन, मानिकचंद, जालिम और जुलुम सहित अन्य परिवार सड़क पर आ गए है। लगभग यही स्थिति निपनिया की भी है। यहां गांव में बाढ़ का पानी घुसने से एक दर्जन परिवारों के सामने संकट पैदा हो गया है। 

खतरा बिंदु से 1.55 मीटर ऊपर बह रही नदी

सरयू नदी का जलस्तर अभी लगातार बढ़ रहा है। नदी खतरे के निशान से काफी ऊपर बह रही है। नदी खतरा निशान से एक मीटर 55 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। इसके चलते इलाके को बाढ़ के खतरे से बचाने के लिए बनाए गए रिंग बंधा पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। 

सांसद का आश्वासन भी नही आया काम

बता दें कि देवरिया में बन रहे ठोकर से उतपन्न होने वाले सम्भावित खतरे को देखते हुए विहरा व उसके आस पास के गांवों के लोग एक सप्ताह पूर्व ही अनशन किया था। लोंगों ने नदी के इस किनारे भी ठोकर बनाने की मांग की थी। मौके पर पहुंचे सांसद रविन्द्र कुशवाहा व एसडीएम अखिलेश कुमार यादव के द्वारा स्थानीय लोगों को ठोकर निर्माण का भरोसा दिए जाने के बाद अनशन समाप्त हुआ था। पूर्वांचल 24 से बातचीत में स्थानीय लोंगों ने बताया कि जिसका डर था वही हो गया। यदि नदी के इस किनारे  ठोकर का निर्माण नही कराया गया तो साल दर साल स्थिति विकट होती जाएगी।  

हजारो एकड़ फसल जलमग्न, विधायक ने की मुआवजे की मांग

उधर नदी का पानी बढने से  सैकड़ो किसानों की हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो गई है। वहीं पशुओं के लिए चारे की समस्या उत्पन्न हो गई है। पूरा दियारा जलमग्न हो गया है। क्षेत्रीय विधायक व पूर्व मंत्री जियाउद्दीन रिजवी ने पूर्वांचल 24 से बातचीत करते हुए कहा कि दियारे के लोग दहशत में है दियारे में रहने  वाले लोग अपने पशुओं के साथ बंधे पर शरण लिए हुए हैं। दर्जनों गांवों के अस्तित्व का खतरा पैदा हो गया है। डूहा बिहरा, कठौड़ा, कुडियापुर, लिलकर, सिसोटार, गोसाईपुर, खरीद, पुरुषोत्तम पट्टी, निपानिया, बहदुरा, असना, पिलुई आदि गांवों के किसानों की फसल पूरी तरह जलमग्न हो चुकी है। उन्होंने प्रशासन से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नाव का प्रबंध व पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करने की मांग की। साथ ही बाढ़ से फसलों के हुए नुकसान का आकलन कर किसानों को मुआवजा दिया जाने की मांग भी उठाई है।

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