कुछ दिन पहले खुशनुमा दिखता था बलिया का यह गांव, नई तस्वीर देख चौंक जायेंगे आप
बैरिया, बलिया : सरयू नदी की लहरों का खौफ बैरिया तहसील क्षेत्र के तटीय गांवों में साफ दिख रहा है। नदी की चिघाड़ती लहरों से सहमे लोग अपने उन आशियानों पर हथौड़ा चलाने को मजबूर है, जिसे तिनका-तिनका जुटाकर बनवाया था। गांव के जिस चबूतरे पर बैठकर बूढे-बुर्जुग आपस में बतियाते थे, वह खंडहर हो चुका है। पक्के घर से जीवन की शुरूआत करने वाले कई परिवार आज प्लास्टिक के टुकड़ो के नीचे रहने को विवश है।
सरयू नदी से हो रहे कटान को रोकने के लिए बाढ़ विभाग ने फ्लड फाइटिंग के नाम पर भारी भरकम धनराशि कटान रोधी कार्य पर खर्च किया। बावजूद इसके कटान नहीं रुक पाया। कटान तभी रुका, जब सरयू नदी का पानी घटकर तलहटी में पहुंच गया। गांव के मुसाफिर यादव, बच्चा यादव, काशी यादव, अमरनाथ यादव, मैनेजर यादव, शिवजी यादव, कन्हैया यादव, केदार यादव, भृगु यादव समेत दो दर्जन से अधिक कटान पीड़ितों ने बताया कि उन्होंने जीवन भर के खून पसीने की कमाई से अपना घर बनाया था, जो एक झटके में सरयू नदी में समा गया।
हम अपनी बर्बादी का मंजर खुली आंखों से देखते ही रह गए। हम 50 लोगों में से केवल 7 लोगों को आवासीय भूमि का पट्टा तहसील प्रशासन द्वारा दिया गया है। अभी 43 कटान पीड़ित आवासीय पट्टा के इंतजार में है। जबकि गत दिवस गोपालनगर में बाढ़ पीड़ितों में सहायता किट वितरण के समय सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त की पहल पर जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने जनपद के प्रभारी मंत्री दया शंकर मिश्र दयालु मिश्र के सामने कहा था कि गांव के सभी 188 परिवारों को आवासीय भूमि का पट्टा देकर सुरक्षित स्थान पर बसाया जाएगा। किन्तु अभी तक इस दिशा में कोई पहल प्रशासन द्वारा नहीं किया गया है।
कुछ कटान पीड़ित गोपालनगर पानी टंकी के इर्द गिर्द शरण लिए हुए है। जो एक पखवारे से रोशनी की व्यवस्था करने की गुहार लगा रहे है, क्योंकि मिट्टी तेल का आवंटन नहीं हो रहा है। बिजली वहां है नहीं और जेनरेटर के नाम पर तहसील प्रशासन हाथ खड़े कर दे रहा हैं। कुछ कटान पीड़ित अपने गांव से दो किलोमीटर दूर पुराने रेललाइन के किनारे शरण लिए हुए है। ये लोग अपने हाल पर जी रहे है।
वहीं, अब गोपालनगर टाड़ी गांव में घरों के उजाड़ने का सिलसिला रुक गया। क्योंकि पिछले एक सप्ताह से नदी की धार नरम पड़ी है। गोपालनगर टाड़ी गांव में घरों को उजाड़ने के कारण आधा गांव खंडहर जैसा दिख रहा है। कटान रुक गया है। सरयू नदी तट छोड़ कर कुछ दूर चली गई है। बावजूद इसके दुबारा बाढ़ आने पर कटान ना शुरू हो जाय, इसकी आशंका से लोग भयभीत है।
शिवदयाल पांडेय मनन
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