मां-बाप की सेवा करें, सताए नहीं, वरना...
बैरिया, बलिया : किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई... मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई... मुनव्वर राना की शेर की ये पंक्तियां अपने आप में यह बताने के लिए काफी है कि आज देश में मां-बाप की हालत क्या है। एक वो बच्चे हैं, जिन्हें मां-बाप नहीं सिर्फ उनकी संपत्ति चाहिए और दूसरे वो जिनके लिए उनके माता पिता किसी भी चीज से ज्यादा बड़े हैं। उन्हें संपत्ति नहीं, मां बाप चाहिए।
आज के आधुनिक होते भारत की विडंबना यही है कि दूसरे किस्म के बच्चों की तादाद घट रही है। आज कुछ बच्चे अपने माता-पिता को बोझ की तरह देख रहे हैं। ऐसा बोझ जिसे वो ढोना नहीं चाहते। शायद इसीलिए श्रवण कुमार के इस भारत में मां-बाप की सेवा करने के लिए भी कानून बनाने की जरूरत पड़ी है। बच्चों के लिए बूढ़े माता-पिता की सेवा करना जरूरी होगा। ऐसा न करने पर बच्चों को जेल हो सकती है। माता-पिता का अपमान करना भी बच्चों को भारी पड़ सकता है, क्योंकि ऐसा करने पर उन पर 5,000 का जुर्माना लगेगा।
मां-बाप का अपमान करने पर तीन महीने की जेल भी हो सकती है। जेल होने पर जमानत पर बाहर आना भी संभव नहीं होगा। कानून में माता-पिता की संपत्ति के लिए प्रावधान किए गए हैं। इसके मुताबिक बच्चों को संपत्ति तब मिलेगी, जब माता पिता उनके साथ रहें। संपत्ति अपने नाम होने के बाद माता-पिता को घर से निकाला तो करार रद्द हो जाएगा।इसे समाज में बढ़ती कुरीति कहें या माता पिता और बच्चों के बीच रिश्तों की कमजोर होती डोर, समझ नहीं आता। लेकिन, आंकड़े बूढ़े मां-बाप का दर्द बखूबी बयां करते हैं।
शिवदयाल पांडेय मनन
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