बलिया में घाघरा ने तरेरी आंख, कटार बनी लहरें ; मचा हड़कम्प
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मनियर, बलिया। घागरा नदी में तेज पानी के बहाव के कारण रिगवन छावनी, ककरघट्टा खास, नवका गांव आदि गांव के तटवर्ती इलाके के लोग जहां परेशान हैं। वहीं किसानों की उपजाऊ जमीन कटकर नदी में विलीन होती जा रही है। नदी का रौद्र रूप देखकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई है। उन्हें अपनी जमीन को बचाने की कोई उपाय नहीं सूझ रही। आए दिन नदी कई बीघा उपजाऊ जमीन अपने आगोश में ले रही है। पेड़ भी नदी में समाहित हो रहे हैं। गुरुवार को त्रिलोकी पांडेय, श्री राम पांडेय, शमशेर पांडेय, मोहन पांडेय, पति राम यादव सहित आदि किसानों की जमीन नदी में विलीन हो रही है।
बताते चलें कि तत्कालीन जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगारौत के प्रयास से एलासगढ़ से लगायत ककरघट्टा तक कटानरोधी कराया गया था। यहां से तटवर्ती इलाके के बस्तियों के बचाव की काफी उम्मीद जगी थी, लेकिन पुनः नदी के कटान होने से क्षेत्र के लोग भयभीत है।
इधर, 19 जून 2020 को जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने टीएस बंधे पर तिलापुर से मनियर तक निरीक्षण किया था।
जिलाधिकारी ने बाढ़ विभाग के अभियंताओं को निर्देश दिया था कि बैकरोलिंग के चलते कटान न होने पाए। कटान रोधी कार्यों व बाढ़ राहत व्यवस्था समय से किए जाय। बता दें कि घाघरा नदी की कटान से प्रभावित 56 गांव की 85000 आबादी प्रभावित होती है। जिलाधिकारी ने कटान रोधी कार्यों व बाढ़ राहत ब्यवस्था न किये जाने पर बाढ़ विभाग के एक्सईएन संजय मिश्रा पर नाराजगी जाहिर की थी। बावजूद इसके विभाग ने तत्परता नहीं दिखाई।
वीरेन्द्र सिंह
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