अपनी उपलब्धि पर बलिया की बेटी ने राजस्थान से लगाया भृगु बाबा और चैनराम बाबा का जयकारा
Ballia News : जीवन में आपके पास कुछ हो न हों, पर हौंसला का होना बहुत जरूरी है। यदि हौसला है तो आप कोई भी मुकाम हासिल कर सकते हैं। हौसले के साथ जिले के सहतवार नगर पंचायत की बेटी रिंकी पाठक ने एक बार फिर बलिया का सम्मान बढ़ाया है। बोली, अफसोस ! आज पिताजी दुनियां में नहीं हैं। लेकिन उनका आशीर्वाद साथ है। वहीं भृगु बाबा और चैन राम बाबा का नाम लेकर जयकारा भी लगाया।
बता दें कि सहतवार नगर पंचायत के मूल निवासी स्व. बिहारी पाठक की बेटी रिंकी पाठक राजस्थान में रहती हैं। गुरुवार को पीएचडी डिग्री हाथ में आते ही अपने शुभ चिंतकों को कॉल कर रिंकी ने बलिया को याद की। रिंकी ने कहा कि भले ही जयपुर में हूं, लेकिन दिल बलिया में ही है। वजह कि आज जो कुछ भी हूं अपने बलिया और यहां के लोगों की वजह से ही हूं। बलिया की माटी से पहचान हुई है।
पिताजी होते तब बात कुछ और ही होती : रिंकी पाठक
रिंकी ने कहा कि पिताजी बहुत पहले साथ छोड़ गए। आज वो होते तब वो बहुत गौरवान्वित महसूस करते, मेरी हरेक उपलब्धि पर वो सदैव सर्वाधिक खुश होते थे। बचपन से ही पढ़ाई में मेरी रुचि रही। सतीश चन्द्र महाविद्यालय से हिन्दी साहित्य में स्नात्कोत्तर की उपाधि प्राप्त करने के बाद राजस्थान चली आई। संघर्ष लगातार जारी रहा। कई प्रतिष्ठित सम्मान एवं पुरस्कार मिले। ऐसे में U.G.C की प्रतिष्ठित नेट जे. आर.एफ परीक्षा उत्तीर्ण कर फिर एसआरएफ में प्रोन्नत हुई। नेट जेआरएफ परीक्षा पास कर शोध की तरफ उन्मुख हुई। जन्मस्थली पूर्वांचल के बलिया में जरूर रही। लेकिन अब कर्म स्थली (राजस्थान) हाड़ौती होने के कारण हाड़ौती के ही प्रसिद्ध वयोवृद्ध साहित्यकार तथा राजस्थान साहित्य अकादमी से कई बार पुरस्कृत ’डॉ नरेन्द्रनाथ चतुर्वेदी के कथा साहित्य में समकालीन यथार्थ’ पर अपना शोध कार्य पूरा किया।
रिंकी ने कहा कि वर्तमान में एक समीक्षक और उभरती हुई साहित्यकार हूं। मुझे गर्व होता है कि मैं बलिया की बेटी हूं। अपने जिले का नाम हर मंच पर बड़े गर्व से लेती हूं। अपने विचारोंत्तेजक लेखों, वक्तव्य के लिए मेरी पहचान है। देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कई लेख, पुस्तक समीक्षाएं, कविताएं और कहानियां प्रकाशित हुई हैं। 2 किताबें प्रकाशित हैं। देश के प्रतिष्ठित प्रकाशन समूह से 2 किताबें प्रकाशन को तैयार हैं।
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