बलिया : शिक्षक सुनील सागर की नई रचना नटखट 'नन्द के लाला'
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नटखट 'नन्द के लाला'
श्याम बरन अधरों पर मुरली
शोभित मोर मुकुट माथे पर
ऐसे नटखट नंद के लाला माखन चोर बंशी बजैया कालिनाग पर ता ता थैया ऐसो है गिरधर गोपाला
घट घट व्यापे रज-कण व्यापे
यमुना तट पर कन्दुक
खेले यशोमति मैया के नन्द लाला
राधा संग वो प्रेम करें हैं
गोपियों संग वो रास रचैया
जिनके सखा हज़ारों बाला
कान्हा भी 'घनश्याम' भी है वो
वन में चराये सखा संग गैया
ऐसा वो चितचोर था ग्वाला
गोवर्धन को धारण करके
किया मर्दन 'सुरेश' का दंभ
कंस वध करके जिसने
किया असुर कुल का विध्वंस
ऐसी है वो बृज के बाला
'ओमकार' है जिनमें समाविष्ट
सुमिरै नाम तो कटे अरिष्ट
वो है चक्र सुदर्शन वाला
ऐसे नटखट नन्द के लाला
रचनाकार : सुनील 'सागर'
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