नाग पंचमी प्राकृतिक संरक्षण की दृष्टि से सारगर्भित व लोकोपयोगी
On




वाराणसी। नाग पंचमी के पावन अवसर पर नमामि गंगे ने बाबा भोलेनाथ और नाग देवता की पूजा कर पशु-पक्षी, वृक्ष-वनस्पति सबके साथ आत्मीय संबंध जोड़ने की अपील की। गंगा किनारे स्थित भगवान शिव शंकर का पूजन कर आरती उतारी गई। गंगाजल से भोले शंकर का जलाभिषेक किया गया।
दुग्धाभिषेक कर प्रकृति के संरक्षण की कामना की गई। नमामि गंगे के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि भारत देश कृषिप्रधान देश है। सांप खेतों का रक्षण करते हैं, इसलिए उसे क्षेत्रपाल कहते हैं। जीव-जंतु, चूहे आदि जो फसल को नुकसान करने वाले तत्व हैं, उनका नाश करके सांप हमारे खेतों को हराभरा रखता है। कहा कि हिन्दू संस्कृति ने पशु-पक्षी, वृक्ष-वनस्पति सबके साथ आत्मीय संबंध जोड़ने का प्रयत्न किया है। हमारे यहां गाय की पूजा होती है।
हमारे यहां वृषभोत्सव के दिन बैल का पूजन किया जाता है। वट-सावित्री जैसे व्रत में बरगद की पूजा होती है, परन्तु नाग पंचमी जैसे दिन नाग का पूजन जब हम करते हैं, तब तो हमारी संस्कृति की विशिष्टता पराकाष्टा पर पहुंच जाती है। गाय, बैल, नाग इत्यादि का पूजन करके उनके साथ आत्मीयता साधने का हम प्रयत्न करते हैं, क्योंकि वे उपयोगी हैं।
Tags:

Related Posts
Post Comments

Latest News
22 Nov 2025 05:51:42
मेषमध्यम समय का निर्माण हो रहा है। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। प्रेम में कुछ विपरित परिस्थिति आ सकती है। संतान...



Comments