भगवान परशुराम की तपोभूमि है बलिया का यह इलाका, जानें पूरी कहानी

भगवान परशुराम की तपोभूमि है बलिया का यह इलाका, जानें पूरी कहानी


बलिया। प्राचीन काल से ही धर्म के क्षेत्र में मनियर अग्रणी रहा है। भगवान परशुराम की तपोभूमि होने के साथ है मनियर नवका ब्रह्म एवं शतगु ब्रह्म का कर्मभूमि भी है। भगवान परशुराम का मंदिर उनके तपोभूमि मनियर में अति प्राचीन काल से विराजमान है। इस मंदिर की स्थापना कब की गई थी ? इसका कोई प्रमाण तो नहीं है, लेकिन प्रकांड विद्वान सुमन जी उपाध्याय के अनुसार मंदिर के एक दरवाजे पर 1560 में श्रीनाथ राय द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार कराए जाने का प्रमाण मिलता है।

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अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है, लेकिन कोरोना वायरस (covid19) के चलते लोग अपने-अपने घरों में भगवान परशुराम की जयंती मनाएं। महर्षि परशुराम को भगवान विष्णु का छठवां अवतार माना जाता है। इनके पिता भृगु श्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि एवं मां रेणुका थी। इनका जन्म ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत पर हुआ था। ये महेंद्र गिरी पर्वत पर निवास करते थे। उनकी पत्नी का नाम धारिणी था। 



वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन इनका जन्म हुआ था। इस दिन जो भी शुभ कार्य किया जाता है, उसका अक्षय फल प्राप्त होता है। इसके कारण इस तिथि को अक्षय तृतीया भी कहते हैं। भगवान परशुराम को अश्वस्त्थामा एवं हनुमान की तरह चिरंजीवी का वरदान प्राप्त था, जिसके कारण सभी कालों में सशरीर मौजूदगी इनकी मानी जाती है। भगवान परशुराम द्वापर में भीष्म, द्रोण और कर्ण को शस्त्र विद्या दिए थे। इन्हें भगवान शंकर द्वारा फरसा एवं विद्युदभि दिव्यास्त्र प्रदान किया गया था। 

महर्षि अत्रि की पत्नी अनुसूया, अगस्त्य की पत्नी लोपामुद्रा व अपने शिष्य अकृतवण के सहयोग से विराट नारी जागृति अभियान का संचालन भी किए थे। ये एक पुरुष एक पत्नी के पक्षधर थे। जिस समय भगवान परशुराम मनियर में तप किया करते थे, उस समय यह क्षेत्र घना जंगल था। क्षेत्र में इनके अतिरिक्त अन्य ऋषि मुनि भी ध्यान योग किया करते थे। जंगलों में मणिधर सर्प हुआ करते थे, जिसके कारण मनियर को मणिवर एवं मुनियों द्वारा तप किए जाने के कारण मुनिवर नाम पड़ा, जिसका विभत्स नाम मनियर है। 

भगवान परशुराम छपरा सारण से लगायत दोहरीघाट तक सरजू नदी के किनारे विचरण किया करते थे। इन्होंने बहेरा कुंवर राक्षस का वध करके सरजू नदी में जल प्रवाह किया था। जिस रास्ते से  घसीट कर उसे लाए थे उस रास्ते से नाला का निर्माण होता गया, जो अब भी है व बहेरा नाला के नाम से जाना जाता है। 

जन श्रुति के अनुसार 16वीं शताब्दी में मुगल शासक औरंगजेब ने मनियर स्थित भगवान परशुराम के मूर्ति पर तलवार से हमला किया था। इसके कारण मूर्ति खंडित हुई थी और मंदिर से भंवरवा हाड़ा निकले थे और औरंगजेब की सेना पर हमला कर उन्हें भागने पर मजबूर कर दिये थे। 

करीब डेढ़ दशक पूर्व भगवान परशुराम की दूसरी मूर्ति की स्थापना मंदिर में किया गया। अक्षय तृतीया के अवसर पर मनियर बस स्टैंड के पास एक विशाल मेला लगता था, जो लग्न के अवसर पर पूरे शबाब पर होता था। लेकिन (covid19) की वजह से उक्त मेला स्थगित कर दिया गया है।



वीरेन्द्र सिंह
मनियर, बलिया

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