टोक्यो ओलिंपिक : ललित के गांव में कांस्य पदक जीत का जश्न, बांटी गई मिठाई
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वाराणसी। ललित उपाध्याय बनारस के चौथे हाकी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने न सिर्फ ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि अपने चमकदार तथा ऐतिहासिक प्रदर्शन से 41 वर्ष बाद ओलिंपिक पदक का सूखा भी खत्म कर दिया। टीम में बतौर फरवर्ड प्लेयर ललित उपाध्याय ने जीत की इबारत लिखने में महती भूमिका निभाई। इस जीत के साथ पूर्वांचल के हाकी खिलाड़ी जश्न मनाते नजर आए। ललित उपाध्याय के शिवपुर स्थित आवास पर बधाई देने वालों का तांता लग गया। पिता सतीश उपाध्याय अपनी खुशी बयां करते हुए कहते है कि यह बाबा विश्वनाथ की कृपा है कि बेटा खाली हाथ नहीं आ रहा है। सबसे बड़ी बात कि ओलिंपिक में हाकी का 41 सालों से चला आ रहा सूखा आखिरकार खत्म हो गया।
गुरुवार को टीम इंडिया ने जर्मनी को 5-4 से हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया। इसमें फॉरवर्ड और मिडफील्ड से खेलने वाले ललित उपाध्याय का अहम रोल रहा।वाराणसी जिले के शिवपुर क्षेत्र के भगतपुर गांव के रहने वाले ललित उपाध्याय के गांव में जश्न का माहौल है। गांव में मिठाई बंटी।ललित कुमार उपाध्याय के पिता सतीश उपाध्याय खुशी के मारे गदगद दिखे। बेटे की जीत पर सतीश उपाध्याय ने पूरे देश को बधाई दी। कहा कि हमारे बच्चों ने बहुत अच्छा परफार्म किया। 41 साल बाद हमारी टीम को पदक मिला है। उम्मीद है कि अगले ओलंपिक में हमारी भारतीय टीम स्वर्ण पदक जीतेगी। ललित के पिता ने पूरे देश को हॉकी टीम के जीत की बधाई दी।
सतीश उपाध्याय के दो बेटों में छोटे ललित टोक्यो जाने से पहले बेंगलुरू में साई नेशनल कैंप में तैयारी कर रहे थे। सतीश ने बताया कि बेटे से उनकी बात हुए एक हफ्ते से ज्यादा हो गया, लेकिन मां से उसकी रोज फोन से बात होती है। ललित मां से मैच जीतने की खुशी भी शेयर करता रहता था।कांस्य पदक के लिए गुरुवार को खेले गए मुकाबले में टीम इंडिया शुरू से ही हावी रही और जर्मनी को 5-4 से शिकस्त दी।
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