सिद्धार्थ की भारत यात्रा... ग़ाज़ीपुर में बनायेंगे भारत दर्शन संग्रहालय और मंदिर

सिद्धार्थ की भारत यात्रा... ग़ाज़ीपुर में बनायेंगे भारत दर्शन संग्रहालय और मंदिर


गाजीपुर। युवा समाजसेवी और समेकित कृषि से अपने देसी स्वरोज़गार को लेकर देश में चर्चित हो चुके सिद्धार्थ सेवार्थ भारत यात्रा को लेकर खबरों में हैं। इनकी भारत यात्रा का पहला चरण पूरा हो चुका है। दूसरे चरण की भारत यात्रा 4 अप्रैल को मुहम्मदाबाद स्थित शहीद पार्क से शुरू होगी। ऐसा इसलिए कि सिद्धार्थ अपनी भारत यात्रा का दूसरा चरण 1942 के अमर शहीदों को नमन करते हुए शुरू करना चाहते हैं।


निरंतर चलते रहने और सीखने वाली यात्रा

प्राचीन भारतीय दर्शन का सूत्रवाक्य है चरैवेति चरैवेति यानी निरंतर चलते रहो। इस सूत्रवाक्य को जीवन में जिसने भी अपनाया, वह समाज के लिए एक आदर्श के रूप में ही सामने आया। इसी सूत्रवाक्य पर पूरे जीवन चलने वाले भारत की महान विभूति राहुल सांकृत्यान ने इस यात्रा को घुमक्कड़ी का नाम देते हुए सच ही कहा है कि वस्तुतः घुमक्कड़ी को साधारण बात नहीं समझऩी चाहिए, यह सत्य की खोज के लिए, कला के निर्माण के लिए, सद्भावनाओं के प्रसार के लिए महान दिग्विजय है। अपनी भारत यात्रा के क्रम में सिद्धार्थ इसी राह पर चलते दिखाई दे रहे हैं। 

स्वामी विवेकानंद और विनोबा भावे से सीख लेकर आगे बढ़े

सिद्धार्थ अपनी भारत यात्रा के दौरान एक मुट्ठी अनाज का भी दान मांग रहे हैं। यात्रा और दान की इस परंपरा की सीख सिद्धार्थ ने स्वामी विवेकानंद और विनोबा भावे जैसे राष्ट्र नायकों से हासिल की। एक तरफ विवेकानंद, जिन्होंने सिखाया कि देश की यात्रा हो या दुनिया की, इससे बड़ा स्वाध्याय नहीं। दूसरी तरफ विनोबा भावे, जिन्होंने अपनी यात्रा के दौरान भूदान जैसा आंदोलन चलाया, और लोगों ने भूमिहीनों के लिए सहर्ष अपनी जमीनें दान करनी शुरू कर दीं। ऐसे ही सिद्धार्थ के एक मुट्ठी अन्नदान लेने का उद्देश्य भी समाज से गैरबराबरी और भेदभाव को मिटाना ही है। 


ग़ाज़ीपुर में बनायेंगे भारत दर्शन संग्रहालय और मंदिर 

सिद्धार्थ अपनी यात्रा के दौरान मिल रही भेंट को सहेज कर रखने के लिए एक संग्रहालय बनायेंगे । सिद्धार्थ का कहना है की अलग अलग ज़िलों में लोग अपने जिले से सम्बंधित पहचान को भेंट स्वरूप उन्हें देते हैं और यह उपहार बहुमूल्य है क्युँ की यह उस जिले की पहचान को दर्शाता है । सिद्धार्थ ने कहा की वो चाहते हैं की लोगों को भी पता चले की भारत के किस जिले की क्या पहचान है । इस लिए उनका मन है की लोगों को भारत को जानने और सीखने के लिए इस संग्रहालय का निर्माण करवाया जाये । इसके साथ ही सिद्धार्थ अपनी यात्रा के दौरान हर जिले मे बहने वाली नदियों का जल और उस जिले की मिट्टी को जुटा रहे है, ताकि हर जिले की नदियों का जल अलग अलग रख कर उनपर उस नदी और जिले का नाम लिख कर भारत दर्शन मंदिर में लगाया जाये ताकी हम भारत के लोग एक साथ एक जगह पर सभी नदियों का दर्शन कर सकें और इसके साथ यह भी सीख सकें की किस जिले में कौन कौन सी नदी बहती हैं और वहां की मिट्टी कैसी है। यह आध्यात्मिक भी और सीखने की भी जगह बन जायेगी।

विकास राय

Related Posts

Post Comments

Comments

Latest News

बलिया में छात्रा से अश्लील हरकत करने वाले शिक्षक पर मुकदमा, ये वही मास्साब है; BSA ने बैठाई जांच बलिया में छात्रा से अश्लील हरकत करने वाले शिक्षक पर मुकदमा, ये वही मास्साब है; BSA ने बैठाई जांच
Ballia News : शिक्षा क्षेत्र बेरूआरबारी के एक स्कूल से गुरु-शिष्य रिश्ते को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया, जिसमें...
स्कूल जा रही छात्रा की हत्या, शव कंधे पर लेकर गांव की ओर चल पड़ा सिरफिरा; नजारा देख दंग रह गये लोग
अवैध सम्बंधों के शक में पत्नी और बेटे की हत्या कर फंदे पर झूल गया युवक
अब जनवरी में बजेगी शहनाई, क्योंकि...
15 December Ka Rashifal : आज क्या कहते हैं आपके सितारे, पढ़ें दैनिक राशिफल
बेसिक शिक्षा मंत्री के हाथों सम्मानित हुए बलिया के शिक्षक सुशील कुमार, खुशी की लहर
प्यार का दुःखद अंत : फंदे से लटका मिला प्रेमी जोड़े का शव, जांच में जुटी पुलिस