धरती का श्रृंगार बढ़ायें, आओ फिर बन-बाग लगायें
On
आओ फिर बन-बाग लगायें
कटते जाते पेड़ पुराने
घटते जाते बाग-बगीचे
अभी बचे हैं जो भी थोड़े
आओ मिलजुल उन्हें बचायें
आओ फिर बन-बाग लगायें।
रोज तपन बढ़ती ही जाती
रोज घुटन बढ़ती ही जाती
वायु प्रदूषण कम करने को
धरती पर हरियाली लायें
आओ फिर बन-बाग लगायें।
वृक्ष बाग धरती के गहने
वस्त्राभूषण मानव पहने
नंगी ना हो धरती माता
धरती का श्रृंगार बढ़ायें
आओ फिर बन-बाग लगायें।
वृक्ष और बच्चे दोनों ही
जग में हैं खुशहाली लाते
दोनों को अनुकूलन देकर
हम अपना दायित्व निभायें
आओ फिर बन-बाग लगायें।
आने वाली पीढ़ी को भी
सुगम भविष्य देकर हम जायें
आओ हम कुछ पौधे रोपें
आओ हम कुछ पेड़ लगायें
आओ फिर बन-बाग लगायें।
विंध्याचल सिंह शिक्षक
बुढ़ऊं, बलिया
Tags:
Related Posts
Post Comments
Latest News
बलिया से दोनों किशोरियों को साथ ले गई झारखण्ड पुलिस, ये हैं पूरी कहानी
15 Dec 2024 22:44:09
बैरिया, बलिया : भोजपुरी सिनेमा में हिरोइन बनाने के नाम पर झारखंड से बहला फुसलाकर आर्केस्ट्रा संचालक द्वारा लाई गई...
Comments