सेहत के दो मीत 'योग और संगीत': पं राजकुमार मिश्र Ballia News
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बलिया। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के साथ अंतरराष्ट्रीय संगीत दिवस भी है। पं.केपी मिश्र मेमोरियल संगीत विद्यालय, रामपुर उदयभान के पं. राजकुमार मिश्र का कहना है कि संगीत को ईश्वर का दर्जा प्राप्त है, इसलिए इस विधा में शुद्धता और शास्त्रीयता का विशेष महत्व है। सात शुद्ध और पांच कोमल स्वरों के माध्यम से मन को साधने का उपाय है संगीत। जहां योग से मनुष्य शरीर, मन और मस्तिष्क को साधता है, वहीं संगीत हमारी आत्मा को शुद्ध करता है। संगीत में स्वरों की शुद्धता पर जोर दिया जाता है और योग में उसके आसन व मुद्राओं पर। योग शास्त्र हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक हैं। मन व मस्तिष्क की एकाग्रता, प्रसन्नचित्त व्यक्तित्व योग शास्त्र की ही देन है। संगीत साधना चाहे गायन, वादन व नृत्य का हो, कलाकार को एक ही मुद्रा में बैठे रहना पड़ता है। उसी तरह योग में भी एक अवस्था में बैठना आवश्यक है। विभिन्न वैज्ञानिकों के प्रयोग द्वारा भी यह सिद्ध भी हो चुका है कि संगीत साधना व योग साधना दोनों से मनुष्य के जीवन में एक नई शक्ति का विकास होता है। इसलिए हर व्यक्ति के जीवन को स्वस्थ रखने के लिए अपनी दिनचर्या में योग व संगीत को शामिल करना नितांत आवश्यक है।
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