आज़ादी के 77वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं...
मानसिक गुलामी के साथ...
वहां मानसिकता गुलामी के साथ आज़ादी के 77वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं....
जहां पत्नी का ख्याल रखे जाने पर पति को 'जोरु का गुलाम' बताया जाता है,
जहां मणिपुर जैसी घटनाओं को बतौर इतिहास दोहराया जाता है।
रात तो छोड़ो दिन में भी बेटी के घर वापस ना जाने तक बाप का कलेजा सुखाये जाता है,
और लानत है जहां खुद स्त्री द्वारा ही 'करिया बेलाउंज करिया साड़ी में फ़ारचुनर लागब' गाया जाता है।
वहां मानसिक गुलामी के साथ आज़ादी के 77वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...
जहां अभी भी अधिकार पाने को संविधान का साहारा लिया जाता है,
जहां खुल के बोल देने से नापसंदगी पर बतौर एक परम्परा अदालतों का फ़ेरा लगवाया जाता है।
जहां खुल के जीने बाहर निकलो तो पलक झपकते ही गायब कर दिया जाता है,
और मरने की इच्छा जाहिर करो तो 'राष्ट्र की सम्पत्ति' हो का खोखला ख्याल दिखाया जाता है।
वहां मानसिक गुलामी के साथ आज़ादी के 77वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं....
जहां किसी किशोरी की मौत पर प्रकाण्ड विद्वानों द्वारा भी मामला प्रथम दृष्टया प्रेम-प्रसंग बतलाया जाता है,
हद है, 77वें वर्ष पर भी आज़ादी का सही मतलब ढुढा जाता है......
नेहा यादव पुत्री ऊषा मनोज यादव
बेरुआरबारी, करम्मर।
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