बलिया : कथा रूपी सागर में गोता लगाते रहे भक्त

बलिया : कथा रूपी सागर में गोता लगाते रहे भक्त


बैरिया, बलिया। माता के आहार, विचार, विहार व आचरण का प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। इसका उदाहरण ऋषि पुत्र धुंधुकारी व गोकर्ण दास जी के आचरण से परिलक्षित होता है। उक्त बातें रानीगंज बाजार स्थित स्टेट बैंक के सामने शिवमंदिर के प्रांगण में चल रहे श्रीमहाशिवरात्रि महोत्सव स्त्रोत्तरशत रुद्राभिषेक के उपलक्ष्य में कथा वाचक कमल किशोर दास 'कान्हा जी' द्वारा श्रीमद्भागवत कथा में बताया। कहा कि स्वयं भगवान ने ही धर्म के मर्यादा का निर्माण किया है। उसे न तो ऋषि जानते हैं और न देवता या सिद्ध गण ही। ऐसी स्थिति में मनुष्य, विद्याधर, चरण और असुर आदि तो जान ही कैसे सकते हैं। भगवान द्वारा निर्मित भगवत धर्म परम् शुद्ध व अत्यंत गोपनीय है।उसे जानना बहुत ही कठिन है। उसे जो जान लेता है वो भगवत स्वरूप को प्राप्त हो जाता है। ब्रम्हा जी, देवर्षि नारद, भगवान शंकर, सनत्कुमार, कपिल देव स्वयंभू मनु, शुकदेव जी आदि ने चराचर को यही संदेश दिया कि भगवान नाम कीर्तन आदि उपायो से भगवान के चरणों में भक्ति भाव प्राप्त कर ले। कथा देर तक चलती रही, जहां श्रद्धालु नर नारी तन मन धन से कथा रूपी सागर में गोता लगाते रहे। इस मौके पर डाक्टर चंद्रशेखर गुप्ता, संजीत कुमार सिंह, मनोज मौर्य, सूरज, सत्येन्द्र कुमार वर्मा, रामजी ठाकुर, शंकर केसरी आदि बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है।

शिवदयाल पांडेय 'मनन'

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