पूरी हुई हसरत : 10 साल से थे 'बिन फेरे हम तेरे'
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उन्नाव। फतेहपुर चौरासी में तीन बेटियों की मां और एक युवक सामाजिक व्यवस्था के तहत दाम्पत्य बंधन में बंध गये। ये 10 साल से एक दूजे के साथ रह रहे थे। यह विवाह लोगों के तानों से ऊबने के बाद हुआ।
थाना आसीवन के गांव कादिलपुर निवासी राम औतार कश्यप की पुत्री सुमन की शादी वर्ष 2004 में हुई थी। जीवन साथी का उत्पीड़न इतना बढ़ा कि उसे न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। कानूनन तलाक के बाद वह अपनी एक बेटी के साथ मायके आकर रहने लगी। वहां से वह अपने पुरुष मित्र फतेहपुर चौरासी के गोरीमऊ निवासी सुनील कश्यप के पास चली आई। सुनील ने सुमन के साथ उसकी बेटी को अपनाया और साथ साथ रहने लगे। दोनों ने दो और बेटियों को जन्म दिया। अब उनके परिवार में तीन बेटियां हैं। सुनील (35) के मुताबिक उनके सामने समस्या यह थी कि उनके बिन फेरे हम तेरे को सामाजिक स्वीकार्यता नहीं मिल रही थी। नतीजे में वे किसी सामाजिक कार्यक्रम में बतौर पति पत्नी शामिल नहीं हो पाते थे। इसका असर उनकी बड़ी होती बेटियों पर भी पड़ रहा था। बात तब ज्यादा गहराई तक पहुंची, जब दो माह पहले इस युगल को भतीजी के विवाहोत्सव से वंचित होना पड़ा। नतीजे में उन्होंने ने सामाजिक तानों से मुक्ति के लिए सामाजिक व्यवस्था के तहत दाम्पत्य बंधन में बंधने का निश्चय किया। दोनों ने विधि विधान से एक दूसरे को अपने जीवन साथी के रूप में अंगीकार किया। खास बात यह रही कि इस अनोखे विवाह में दोनों की तीनों बेटियों के साथ बिरादरी के अन्य लोग भी शामिल हुए।
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