राजशाही की वापसी चाह रही है डबल इंजन की सरकार - रामगोविंद चौधरी
Ballia News : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव रामगोविंद चौधरी ने कहा है कि देश में चल रही डबल इंजन की सरकार का आज़ादी, लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था में विश्वास नहीं है। यह सरकार किसी कीमत पर देश में राजशाही की वापसी चाह रही है। इसके लिए यह सरकार नियोजित तरीके से देश को बापू की जगह गोडसे के पथ पर ले जाने की कोशिश में लगी हुई है। कहा कि समाजवादी पार्टी सरकार के इस कुत्सित प्रयास के विरोध में कदम कदम पर संघर्ष करेगी। सरकार के इस प्रयास को किसी कीमत पर सफल नहीं होने देगी।
शनिवार को अपने आवास पर देश के प्रथम समाजवादी प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए सपा के राष्ट्रीय सचिव रामगोविंद चौधरी ने कहा कि यह आज़ादी, लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था हमें मुफ्त में नहीं मिली है। इसके लिए हमारे पुरखों ने भारी कुर्बानी दी है। इसकी रक्षा हमारा, आपका, सभी का दायित्व है। इस दायित्व का निर्वहन ही पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर जी को सच्ची श्रद्धान्जलि है।
कहा कि डबल इंजन की सरकार से पहले के सरकार का लक्ष्य होता था, पीड़ित को न्याय देना। अब सरकार का लक्ष्य हो गया पीड़ा देने वाले को संरक्षण देना। याद करिए, लखीमपुर में किसानों को जीप से कुचलकर मारा गया। इस किसान वध के मुजरिम का पिता सरकार में अब भी मंत्री बना है। यौन शोषण के मामले में न्याय मांग रहीं देश की गौरव महिला पहलवानों को सड़क पर घसीटा गया। जिनके ऊपर आरोप है, वह चैनलों पर इंटरव्यू दे रहे हैं और सरकार तमाशा देख रही है। अराजकता में मणिपुर जल रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री उधर देखने की जहमत नहीं उठा रहे हैं। हरियाणा में तय न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग करने वाले किसानों को सरकार की नीति के तहत पुलिस ने पीटा। उनके खिलाफ कोई करवाई नहीं हुई जो तय न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दिये।
कहा कि आम आदमी को छोड़िये, उत्तर प्रदेश में एक सांसद ने सरकारी बैठक में विधायक को जूते से पीटा। विधायक ने भी प्रतिवाद में हाथ चलाया। पूरा देश इस दृश्य को देख रहा है, लेकिन सरकार नहीं देख पाई। यही नहीं, आप न्याय के लिए यहाँ प्रदर्शन करिए। पहले सरकार आपकी आवाज़ नहीं सुनेगी और सुनेगी तो आपको ही जेल में भेज देगी। कहा कि आज देश आपातकाल से भी अधिक खतरनाक दौर से गुजर रहा है, इसलिए मीडिया भी इस स्थिति को बयां करने से बच रही है। कहा कि उपरोक्त घटनाएं तब की हैं, जब राजशाही स्थापित करने की कोशिश हो रही है। हो जायेगी तो क्या क्या होगा? इसकी कल्पना करिए। इसलिए इस राजशाही को रोकने के लिए हम सपाई बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को तैयार रहें। इस मौके पर अरुण कुमार श्रीवास्तव, सुशील पाण्डेय कान्हजी, राजेन्द्र यादव, शिवानन्द पाण्डेय, अमरेश मिश्र, अब्दुल अंसारी, ब्रह्मा नन्द , रविन्द्र यादव आदि ने भी श्रद्धांजलि अर्पित किया।
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