शोध का विषय है युवातुर्क चन्द्रशेखर का जीवन : उपेन्द्र सिंह
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बलिया। अगर हौसला नहीं होगा तो फैसला नहीं होगा, सभी अपनी सोचेंगे तो किसी का भला नहीं होगा।यह विचार देने वाले बलिया की शान देश के गौरव पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर जी की 13वीं पुण्यतिथि राष्ट्रनायक चन्द्रशेखर मैराथन समिति के बैनर तले बसंतपुर शिव मंदिर के प्रांगण में उनके अनुयायियों द्वारा सामाजिक दूरी बनाते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित कर मनाई गई।चन्द्रशेखर मैराथन परिवार के लोग प्रखर नेता की याद में दर्जनो जगहो पर पौधे लगाये।
सचिव उपेन्द्र सिंह ने कहा कि हमारे प्रेरणास्रोत चन्द्रशेखर जी की जीवनी आदर्श रुप में सबके सामने है। उनके जीवन के पर शोध करने की जरूरत है। आचार्य नरेन्द्र देव ने जिस शलाका पुरुष को कहा था कि 'शोध कार्य छोड़िये देश बनाने के लिये निकलिये...' यह बात गांठ बांधकर घर-बार छोड़ देश की राजनिति करने निकला वह नौजवान कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। ऊपरी सदन के सदस्य चुने जाने के बाद आगे ही बढते गये। आपातकाल में जेल भी जाना पड़ा, लेकिन यह मां द्रौपदी का लाल कभी विचलित नहीं हुआ। इंदिरा जी से लोहा लेने के बाद अलग राह पकड़ लिये। जेपी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने लगे। अपनी दुरदर्शी सोच और कुशल राजनैतिक पकड़ के कारण जनता पार्टी के अध्यक्ष बनाये गये।युवा तुर्क अपने दम पर प्रधानमंत्री की कुर्सी को भी सुशोभित किये। जो इतिहास मे दर्ज है। हम बलियावासियों को इतराने के लिये आपका राजनैतिक जीवन एक पूरी किताब की तरह है, तभी आप हमारे प्रेरणास्रोत है।
बागी बलिया की बागीपन रगों में कुट कुटकर भरा था। आपको देखकर, सुनकर सैकड़ों नौजवान देश बनाने निकल पड़े थे। आप आज भी हमारे बीच अमर है। आपने राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि स्थान दिया। किसी भी समस्या पर बेबाकी से बात रखने वाले राष्ट्रनायक को हम विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए उनके चरणों में बारंबार नमन करते है। इसके पूर्व राष्ट्रनायक चन्द्रशेखर मैराथन समिति के तत्वावधान में बसंतपुर झारखंडी नाथ शिव मंदिर के प्रांगण तथा पोखरे पर रूद्राक्ष सहित आंवला, सागौन पीपल इत्यादि के जीवनदायिनि दर्जनों पौधे युवा तुर्क की याद में लगाये गये। इस कार्यक्रम में यशजीत सिंह, चन्दन सिंह, रिंकु सिंह, मनीष सिंह, नीरज सिंह सुरज सिंह, अवनीश सिंह, विशाल प्रताप यादव, लक्की सिंह, महेन्द्र सिंह, राकेश सिंह इत्यादि की महती भूमिका रही।
सचिव उपेन्द्र सिंह ने कहा कि हमारे प्रेरणास्रोत चन्द्रशेखर जी की जीवनी आदर्श रुप में सबके सामने है। उनके जीवन के पर शोध करने की जरूरत है। आचार्य नरेन्द्र देव ने जिस शलाका पुरुष को कहा था कि 'शोध कार्य छोड़िये देश बनाने के लिये निकलिये...' यह बात गांठ बांधकर घर-बार छोड़ देश की राजनिति करने निकला वह नौजवान कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। ऊपरी सदन के सदस्य चुने जाने के बाद आगे ही बढते गये। आपातकाल में जेल भी जाना पड़ा, लेकिन यह मां द्रौपदी का लाल कभी विचलित नहीं हुआ। इंदिरा जी से लोहा लेने के बाद अलग राह पकड़ लिये। जेपी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने लगे। अपनी दुरदर्शी सोच और कुशल राजनैतिक पकड़ के कारण जनता पार्टी के अध्यक्ष बनाये गये।युवा तुर्क अपने दम पर प्रधानमंत्री की कुर्सी को भी सुशोभित किये। जो इतिहास मे दर्ज है। हम बलियावासियों को इतराने के लिये आपका राजनैतिक जीवन एक पूरी किताब की तरह है, तभी आप हमारे प्रेरणास्रोत है।
बागी बलिया की बागीपन रगों में कुट कुटकर भरा था। आपको देखकर, सुनकर सैकड़ों नौजवान देश बनाने निकल पड़े थे। आप आज भी हमारे बीच अमर है। आपने राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि स्थान दिया। किसी भी समस्या पर बेबाकी से बात रखने वाले राष्ट्रनायक को हम विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए उनके चरणों में बारंबार नमन करते है। इसके पूर्व राष्ट्रनायक चन्द्रशेखर मैराथन समिति के तत्वावधान में बसंतपुर झारखंडी नाथ शिव मंदिर के प्रांगण तथा पोखरे पर रूद्राक्ष सहित आंवला, सागौन पीपल इत्यादि के जीवनदायिनि दर्जनों पौधे युवा तुर्क की याद में लगाये गये। इस कार्यक्रम में यशजीत सिंह, चन्दन सिंह, रिंकु सिंह, मनीष सिंह, नीरज सिंह सुरज सिंह, अवनीश सिंह, विशाल प्रताप यादव, लक्की सिंह, महेन्द्र सिंह, राकेश सिंह इत्यादि की महती भूमिका रही।
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