सीएम दरबार पहुंचा बलिया स्वास्थ्य विभाग में लाखों रुपये की खेल का जिन्न !

सीएम दरबार पहुंचा बलिया स्वास्थ्य विभाग में लाखों रुपये की खेल का जिन्न !


बलिया। शासन की लाख कोशिशों के बाद भी यहां स्वास्थ्य विभाग में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। इसको लेकर अक्सर आवाज उठती रही हैै। एक बार फिर 'लाखों रुपये की खेल' का जिन्न बाहर आया है। इस मामले की जांच के लिए विभाग के एक निलंबित बाबू ने मुख्यमंत्री को शपथ पत्र के साथ शिकायती पत्र भेजा है। पत्र के जरिये बाबू ने खुद की सवेतन बहाली व दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। 

कूटरचित हस्ताक्षर के आरोप में तत्कालीन सीएमओ पीके मिश्र ने दी थी तहरीर

शहर कोतवाली में तत्कालीन सीएमओ प्रीतम कुमार मिश्र ने तहरीर दी थी। सीएमओ ने तहरीर में लिखा, 'गत दिवस 27 -11- 2019 को स्टेट बैंक से दूरभाष पर मुझे मैनेजर द्वारा सूचित किया गया कि (PFMS) प्रणाली के तहत 51 लाख 86 हजार 160 रुपये का बिल मेसर्स अनमोल ट्रेडिंग कम्पनी के पक्ष में उनके समक्ष भुगतान किये गए हैं, जिसमें हस्ताक्षर कूटरचित प्रतीत हो रहा हैं।
दूरभाष पर ही भुगतान रोकने का अनुरोध प्रबंधक से कर दिया गया था। सीएमओ ने यह भी लिखा है कि आज 28.11.2019 को जब मेरे द्वारा वस्तुतः जांच की गयी तो पाया गया कि मेसर्स अनमोल ट्रेडिंग कम्पनी द्वारा प्रदत्त बिल प्रथम दृष्टया कूटरचित प्रतीत हो रहे हैं। सापेक्ष जिला लेखा प्रबंधक (DAM) पवन कुमार वर्मा, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में पटल सहायक रहे मुन्ना बाबू, मुकेश भारद्वाज एवं मनोज यादव द्वारा फर्जी पत्रावलियों का निर्माण किया गया। इन पत्रावलियों में तत्समय मृत हो चुके मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ एसपी राय एवं अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ हरपाल सिंह के हस्ताक्षरों को टीपों (Note surat) के नीचे कलर स्कैन कर कूट रचना की गयी। तत्कालीन सीएमओ पीके मिश्र ने उक्त मामले में प्रथम सूचना दर्ज कर कार्रवाई की मांग की।

अपर निदेशक ने मुन्ना बाबू को दिया क्लीन चिट

स्वास्थ्य कर्मी मुन्ना बाबू को जहां तत्कालीन सीएमओ प्रीतम कुमार मिश्र ने कूटरचित हस्ताक्षर का उल्लेख करते हुए आरोपित किया था, वहीं अपर निदेशक स्वास्थ्य आजमगढ़ ने मुन्ना बाबू को क्लीन चिट दे दिया। अपर निदेशक के आदेश में यह साफ शब्दों में दर्शाया गया है कि आरोप संख्या -2 एवं 3 में मुकेश भारद्वाज के साथ मिलकर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी आरसीएच  एवं डॉ एसपी राय मुख्य चिकित्साधिकारी बलिया के फर्जी हस्ताक्षर द्वारा भुगतान हेतु नोट शीट तैयार करने एवं एके मिश्रा और डॉ पीके मिश्रा के फर्जी हस्ताक्षर द्वारा धनराशि आहरित करने का आरोप सिद्ध नही होता, क्योंकि मुन्ना बाबू आरोप पत्र में वर्णित तिथियों में एनएचएम के पटल सहायक के पद पर कार्यरत नही थे। ना ही प्रकरण में इनकी संलिप्तता का कोई प्रमाण मौजूद है। अपर निदेशक जांच आख्या में यह भी लिखा है कि  मुन्ना बाबू वरिष्ठ सहायक (निलंबित) कार्यालय मुख्य चिकित्साधिकारी बलिया सम्प्रति सम्बद्ध कार्यालय अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण आजमगढ़ मंडल आजमगढ़ के ऊपर लगाये गये आरोप सिद्ध नहीं होते। उपरोक्त को दृष्टिगत करते हुए इनका निलम्बन निरस्त करने योग्य है।

मुख्यमंत्री को स्वास्थ्य कर्मी मुन्ना बाबू ने शपथ पत्र के साथ लगाया गुहार

क्लीनचिट के बाद भी बहाली न होने से आहत स्वास्थ्य कर्मी मुन्ना बाबू ने मुख्यमंत्री से न्याय के लिए शपथ पत्र के साथ गुहार लगाया है। प्रार्थना पत्र में लिखा है कि संलग्न पत्र का अवलोकन करने की कृपा करें, जिसमें बलिया जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार वित्तीय अनियमतता/फर्जी एफआईआर से सम्बंधित है। इसकी जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई तथा अपने निलंबन को साजिश करार देते हुए न्याय की मांग की गई है। स्वास्थ्य कर्मी मुन्ना बाबू ने मुख्यमंत्री से संलग्न शपथ पत्र में उल्लिखित बिंदुओं की जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही कर खुद को सवेतन बहाल करने के लिए अपर मुख्य सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं) लखनऊ को आदेशित करने की गुहार की है। 

ऊपरी स्तर से चल रही जांच : सीएमओ

सीएमओ डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि प्रकरण में ऊपरी स्तर से जांच चल रही है।निर्देशानुसार हम करेंगे।


नरेन्द्र मिश्र

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