बलिया : ARP डॉ. शशिभूषण मिश्र के कौशल व प्रशिक्षकों की कार्यशैली को बीएसए ने सराहा
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बलिया। कोविड-19 संक्रमण, जो वैश्विक महामारी के रूप में सामने आया तथा बालक, व्यक्ति, समाज, राष्ट्र एवं प्रत्येक स्तर पर जीवन को प्रभावित किया है। इसका बहुत बड़ा दुष्परिणाम बच्चों के विकास पर भी पड़ा है। बच्चों के सतत विकास उनके सीखने व समझने में कोरोना ने एक ऐसा अवरोध उत्पन्न कर दिया है। इससे हुए नुकसान को मापना और उसकी भरपाई कर पाना वास्तव में कठिन कार्य है। अब जबकि विद्यालय खुल गए हैं और हमें बच्चों के नुकसान की भरपाई कर पाना एक चुनौती के रूप में सामने है तो इस तरह की परिस्थिति में राज्य परियोजना कार्यालय के निर्देशन में राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान प्रयागराज के सौजन्य से चलाई जा रही शिक्षकों के दो दिवसीय प्रशिक्षण आधारशिला क्रियान्वयन संदर्शिका, समृद्ध हस्त पुस्तिका, रिमेडियल टीचिंग, प्रिंट रिच मेटीरियल तथा गणित पर आधारित प्रशिक्षण के उद्घाटन के अवसर पर पहुंचे बीएसए शिवनारायन सिंह ने प्रशिक्षण के स्वरूप व मार्गदर्शन को समझाया। कहा कि अंग्रेजी विषय के एआरपी डॉ शशि भूषण मिश्र का प्रशिक्षण कौशल बहुत सराहनीय है। डॉक्टर मिश्र प्रशिक्षण की बारीकियों व कौशल विकास का प्रस्तुतीकरण बहुत अच्छे से करते हैं। सभी शिक्षकों को पूरी तन्मयता से इनसे सीखने की आवश्यकता है।
प्रशिक्षक डॉ शशि भूषण आधारशिला क्रियान्वयन का भाषा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सबसे पहले बच्चों के अंदर पठन कौशल का विकास किया जाना चाहिए। इसके लिए सुनने के कौशल के विकास के माध्यम से पठन कौशल को विकसित किया जाना अपेक्षित है। जिला समन्वयक प्रशिक्षण नुरुल हुदा ने प्रशिक्षण की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हमारे उद्देश्य की पूर्ति में कई बाधाएं हैं, जिनका हल एक शिक्षक के स्तर पर हम सबको खुद ढूंढना होगा। हम सभी अवगत ही हैं कि बच्चे केवल विद्यालय से विरत नहीं है, बल्कि उनका अपने सामाजिक परिवेश से भी कुछ हद तक अलगाव रहा है। उन्होंने बताया कि अब जब बच्चे हमारे विद्यालयों में आना प्रारंभ कर दिए हैं तो हमें उनके प्रति संवेदनशीलता रखनी है। उनकी भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए उन्हें सकारात्मक अवसर प्रदान किए जाने की जरूरत है। केआरपी/ प्रशिक्षक अजय कुमार सिंह ने गणित से जुड़ाव व लगाव की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों को बताया कि सीखना केवल एक बौद्धिक कार्य नहीं है, क्योंकि भावनात्मक जुड़ाव के बिना सीखना संभव ही नहीं। अब सामान्य परिस्थितियों के लिए भावनात्मक पहलू का ध्यान रखने का महत्व है। हमें यह मानना पड़ेगा कि इन विशेष परिस्थितियों में कितना ज्यादा ख्याल रखे जाने की जरूरत है। खंड शिक्षा अधिकारी नगर क्षेत्र धर्मेंद्र कुमार ने शिक्षकों को बताया कि समृद्ध हस्तपुस्तिका का अवलोकन करने पर हमें यह ज्ञात होता है कि गणित विषय की चुनौतियां भी कम नहीं है। विषय की प्रकृति के चलते इसे समझने में बच्चे कई तरह की कठिनाइयां महसूस करते हैं। एआरपी राम रतन सिंह यादव ने बताया कि एक लंबे अंतराल के बाद हमारे विद्यालय बच्चों के लिए खुल गए हैं। हमें यह सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है कि गणित विषय की बुनियादी दक्षताओं को अर्जित कर आगे की तैयारी की जा सके। इसके लिए कुछ बुनियादी अवधारणाओं को चिन्हित कर उनके लिए उपयुक्त शैक्षणिक अनुभव और सामग्रियों को एकत्र कर शिक्षकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है, ताकि बच्चे बुनियादी दक्षताओं को प्राप्त कर सकें। एआरपी डॉ भावतोष कुमार पांडे ने प्रिंट रिच सामग्री से शिक्षकों का परिचय कराते हुए बताया कि इसमें क्या चीजें सम्मिलित की गई हैं और उनका उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है। एआरपी अनिल कुमार ने आशा व्यक्त की कि इस प्रकार की सामग्री के माध्यम से हमें कोविड-19 के कारण बच्चों को सीखने में बनी बड़ी खाई को पाटने में मदद मिलेगी।
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