बलिया : किसानों के सच्चे रहनुमा थे रामबदन राय, अप्रतिम था व्यक्तित्व
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बलिया। दीयर की संस्कृति और संस्कार को जीने वाले कुलीन भूमिहार ब्राह्मण परिवार में जन्में बाबू रामबदन राय मजदूर व किसानों के अप्रतिम हितैषी थे। डाड, मेढ़, खेत खलिहान और गांव की धूल-धुंध से प्रेम उनके रग-रग में था।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जर्नादन राय ने कहा कि दीयर का भौगोलिक ज्ञान रामबदन राय को औरों से अलग करता है। वे पढ़े लिखें तो थे ही, गरीबों की पीर को पढ़ने वाले किसान संत थे। उन जैसे व्यक्तित्व दशाब्दियों में कभी कभी पैदा होते है। पं. अवधबिहारी चौबे ने कहा कि रामबदन राय किसानों के सच्चे रहनुमा थे। उनका व्यक्तित्व अप्रतिम था। शिक्षित किसान के रूप में वे ज्ञान के जीवंत शब्दकोष थे। मंगलवार को स्व. राय के पुत्र शैलेष कुमार राय द्वारा मिश्र नेउरी में आयोजित 'रामबदन राय और उनका व्यक्तित्व' विषयक गोष्ठी में शिव दर्शन राय, डॉ. देवानंद राय, सपा नेता अनिल राय, विश्राम राय, दयाशंकर दूबे, राजनाथ पांडेय, धरीक्षण राय, मंटू सिंह, सूर्यदेव सिंह, तारकेश्वर पांडेय, सुशील पांडेय, सुरेन्द्र पांडेय, पंकज पांडेय, प्रहलाद चौबे, मनोज चौबे, अधिवक्ता मनोज राय हंस इत्यादि ने उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला।
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