JNCU बलिया में बहु-विषयक एवं समग्र शिक्षा पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी, छ्नकर सामने आई ये बातें
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बलिया। जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के पंडित दीन दयाल उपाध्याय शोध पीठ की ओर से रविवार को बहु-विषयक एवंJNCU बलिया में बहु-विषयक एवं समग्र शिक्षा पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी, छ्नकर सामने आई ये बातें समग्र शिक्षा पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न कुलपति प्रो. कल्पलता पाण्डेय की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति ने कहा कि भारत में समग्र एवं बहुविषयक तरीके से सीखने की एक बहुत प्राचीन परंपरा रही है। एक समग्र और बहुविषयक शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य की सभी क्षमताओं-बौद्धिक, सौंदर्यात्मक, सामाजिक, शारीरिक, भावात्मक तथा नैतिक को एकीकृत तरीके से विकसित करना होता है। ऐसी शिक्षा व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करती है। इस तरह का शिक्षण इक्कीसवीं सदी की शिक्षण पद्धति के लिए अति आवश्यक है। इसका पूरा-पूरा ध्यान नई शिक्षा नीति 2020 में रखा गया है। गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्ष, सामाजिक विज्ञान विभाग, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी प्रो, शैलेश कुमार मिश्रा, बतौर मुख्य वक्ता हिन्दी भाषा एवं साहित्य के प्रबुद्ध विद्वान प्रो (आईसीसीआर हिन्दी पीठ, भारत विद्या विभाग, सोफिया विश्वविद्यालय, बुल्गारिया प्रो आनन्द वर्द्धन शर्मा ने अपना व्याख्यान दिया।
नई शिक्षा नीति 2020 में बहुविषयक एवं समग्र शिक्षा के उद्देश्यों का स्पष्ट उल्लेख है कि यह मनुष्य की क्षमताओं, बौद्धिक, सौंदर्यात्मक, सामाजिक, शारीरिक, भावात्मक तथा नैतिक को एकीकृत तरीके से विकसित करना होगा। ऐसी शिक्षा व्यक्ति के सर्वांगीण विकास कला, मानविकी, भाषा, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और तकनीकी व व्यावसायिक क्षेत्रों में महती भूमिका निभाती है। इस प्रकार कार्यक्रम की शुरूआत में स्वागत एवं बीज वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए शोध पीठ के सहसंयोजक एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अजय बिहारी पाठक ने मुख्य वक्ता का परिचय कराकर विषय प्रवर्तन किया।
मुख्य अतिथि प्रो शर्मा ने व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि वर्तमान समय में भारतीय शिक्षा पद्धति के प्रति अटूट श्रद्धा का भाव होना आवश्यक है। इसके लिए हमें पारंपरिक शिक्षा पद्धति को जोड़कर आत्मसात करने की जरूरत है। उन्होंने उसे विवेकानन्द के विचारों से लेकर आज तक परिवेशगत यथार्थ के आधार अन्तर्विषयी एवं समग्र शिक्षा पर विशद प्रकाश डाला एवं उच्चतर शिक्षा के मूल्यों में संवाद पर जोर देने की बात कही। इसी क्रम में मुख्य अतिथि का परिचय रामावतार उपाध्याय ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में सामाजिक संस्कार एवं शिक्षा के अंतर्संबंधों की व्याख्या करते हुए नयी स्थापना की। उनका कहना था कि भारत के वैश्विक नेतृत्व प्लान के आधार पर समाज एवं व्यक्तित्व के बहुआयामी उपकरण शिक्षा के द्वारा सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने व्यवहारिक उदाहरणों के आधार पर बहुविषयक समग्र शिक्षा के महत्व की दार्शनिक व्याख्या दी। कार्यक्रम का सफल संचालन शोध पीठ के संयोजक डॉ रामकृष्ण उपाध्याय एवं आभार सह संयोजक डॉ मनजीत सिंह ने प्रस्तुत किया। इस प्रकार एक समृद्ध एवं वैचारिक कार्यक्रम समाप्त हुआ। इस अवसर जम्मू से प्रो जसवीर सिंह, चंडीगढ़ से प्रो मैदान, दिल्ली से प्रो ललित के गोस्वामी, कुँवर सिंह के प्राचार्य डॉ. अशोक सिंह, डॉ. अरविंद नेत्र पाण्डेय,डॉ. सत्यप्रकाश सिंह, डॉ. फूलबदन सिंह, डॉ. अशोक सिंह, डॉ रमाकांत सिंह, डॉ. संजय, अर्चना श्रीवास्तव, डॉ. सच्चिदानन्द, डॉ. दिव्या मिश्रा, डॉ. हरिशंकर सिंह, डॉ. धीरेंद्र सिंह, डॉ. अवनीश जगन्नाथ, अनुज पाण्डेय, डॉ. संतोष कुमार सिंह, डॉ. शैलेश पाण्डेय, डॉ. प्रमोद शंकर पाण्डेय, अनुराधा वर्मा, आनन्द, योगेंद्र यादव, अनिल गुप्ता, मनोज, लाल वीरेंद्र सिंह, विकास कुमार, रजिंदर सहित प्राध्यापक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे।
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