बलिया : पत्रकार श्रवण पांडेय बोले, 'वास्तविक सशक्तीकरण तभी होगा, जब महिलाएं...'
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बलिया। पत्रकार श्रवण कुमार पांडेय ने कहा कि महिला सशक्तीकरण एक विवेकपूर्ण प्रक्रिया है। हमने अति महत्वाकांक्षा को सशक्तीकरण मान लिया है। मुझे लगता है महिला दिवस का औचित्य तब तक प्रमाणित नहीं होता, जब तक कि सच्चे अर्थों में महिलाओं की दशा नहीं सुधरती। ऐसे में महत्वपूर्ण यह है कि महिला दिवस का आयोजन सिर्फ रस्म अदायगी भर न रह जाए। यह देखा जाना चाहिए कि क्या उन्हें उनके अधिकार प्राप्त हो रहे हैं। वास्तविक सशक्तीकरण तो तभी होगा, जब महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होंगी और उनमें कुछ करने का आत्मविश्वास जागेगा।
कहा कि यह शुभ संकेत है कि महिलाओं में अधिकारों के प्रति समझ विकसित हुई है। अपनी शक्ति को स्वयं समझकर, जागृति आने से ही महिला घरेलू अत्याचारों से निजात पा सकती है। कामकाजी महिलाएं अपने उत्पीड़न से छुटकारा पा सकती हैं। कहा कि महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपने आप को स्थापित कर लोहा मनवाने का काम किया है। राजनीति हो, खेल हो, शिक्षा हो या देश की रक्षा की बात हो, हर जगह महिलाओं ने परचम लहराने का काम किया है। नतीजतन सरकार ने हर क्षेत्र में महिलाओं के उत्थान के लिए कई योजनाएं चला रही है।
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