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बलिया में UP बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन शुरू, बहिष्कार का दिखा असर


डॉ. मनीष सिंह
बलिया। 18 मार्च से यूपी बोर्ड की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का काम शुरू हो गया, पर माध्यमिक शिक्षक संगठनों द्वारा सात मांग को लेकर किए गये कार्य का बहिष्कार की वजह से सिर्फ 2027 उत्तर पुस्तिकाओं का ही मूल्यांकन हो सका। इस दौरान जनपद के चारों मूल्यांकन केंद्रों पर मूल्यांकन बहिष्कार करने वाले शिक्षक धरने की तरह बैठे रहे।

बता दे कि बलिया में कुंवर सिंह इंटर कॉलेज, मुरली मनोहर टाउन इंटर कॉलेज, राजकीय इंटर कॉलेज व राजकीय बालिका इंटर कॉलेज को मूल्यांकन केन्द्र बनाया गया है, लेकिन शनिवार को चारों केन्द्रों पर क्रमशः 104, 898, 600 व 425  उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य हुआ। 

मूल्यांकन बहिष्कार में उत्तर प्रदेश राजकीय शिक्षक संघ तथा प्रधानाचार्य परिषद ने भी अपना पूर्ण समर्थन देते हुए मूल्यांकन कार्य को बंद रखा। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने चारों मूल्यांकन केंद्रों पर भ्रमण करते हुए शिक्षकों से मूल्यांकन न करने की अपील की। शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अरुण कुमार सिंह तथा रविंद्र कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि हमारा मूल्यांकन बहिष्कार पूरे प्रदेश में है, जब तक हमारी 7 सूत्रीय मांगों को सरकार नहीं मानेगी, तब तक मूल्यांकन बहिष्कार जारी रहेगा। 

इस मौके पर रामविलास सिंह यादव, अनुज सिंह, डॉक्टर बालचंद राम, जयंत सिंह, डॉ मनीष कुमार सिंह, आनंद मोहन सिंह,संजय सिंह, विंध्यवासिनी साहू, संगीता यादव, नीता शाक्य, शिवसागर गौतम, अश्वनी कुमार, पारसनाथ यादव, रविंद्र नाथ यादव, अयोध्या तिवारी, अनिल कुमार पांडे, अनिल कुमार सिंह, उमेश चौबे, रमाशंकर सिंह, अखिलेश कुमार यादव, अमीन अख्तर, राजेंद्र सिंह, अनिल कुमार, जयप्रकाश श्रीवास्तव, विनय प्रताप सिंह, तेज बहादुर राय, जयप्रकाश यादव, जयप्रकाश मिश्रा, पूजा शर्मा, संतोष कुमार यादव, रविंद्र कुमार सिंह, लहरी सिंह आदि मौजूद रहे।

7 सूत्री मांग

मांगों में पुरानी पेंशन बहाल करना, तदर्थ शिक्षकों का विनियमितीकरण, सरकारी कर्मचारियों की भांति माध्यमिक शिक्षकों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना, वित्तविहीन शिक्षकों को सम्मानजनक मानदेय देना, विषय विशेषज्ञों को पुरानी पेंशन का लाभ देना, 2005 के पूर्व विज्ञापनों पर नियुक्त शिक्षकों को एनपीएस की जगह ओपीएस का लाभ देना, बोर्ड परीक्षा के समस्त पारिश्रमिक को सीबीएसई के बराबर करना तथा 2018 से बकाया पारिश्रमिक का भुगतान करना शामिल है।

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