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हिंदी के शोधार्थियों के लिए बड़े काम की साबित होगी बलिया के उमेश चतुर्वेदी की यह पुस्तक

नई दिल्ली। हिंदी की समस्या यह है कि उसके प्रति लोक में उतनी जागरूकता नहीं है, जितना राजभाषा के संदर्भ में होनी चाहिए। ‘राजभाषा हिंदी और अस्तित्व बोध’ पुस्तक इसी जागरूकता को बढ़ाने का प्रयास है। यह कहना है, वरिष्ठ पत्रकार और प्रसार भारती के कंसल्टेंट उमेश चतुर्वेदी का। दिल्ली पुस्तक मेले के आखिरी दिन इस पुस्तक के औपचारिक लोकार्पण के मौके पर उन्होंने यह बात कही। 

इस पुस्तक को पुस्तकनामा ने प्रकाशित किया है। इस पुस्तक में राजभाषा के तौर पर हिंदी की विकास यात्रा को तो संजोया ही गया है, हिंदी की समस्याओं की ओर भी ध्यान दिलाने की कोशिश की गई है। इस पुस्तक में भारतीयता की संपर्क भाषा के रूप में हिंदी की यात्रा को भी रेखांकित करने की कोशिश की गई है। इस पुस्तक की भूमिका प्रतिष्ठित हिंदी पत्रकार और माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अच्युतानंद मिश्र ने लिखी है। 

अच्युतानंद मिश्र के अनुसार यह पुस्तक हिंदी के शोधार्थियों के लिए बड़े काम की साबित होगी। पुस्तक के परिचय में हिंदी के जाने-माने पत्रकार और अमर उजाला अखबार के संपादकीय सलाहकार यशवंत व्यास ने लिखा है कि उमेश चतुर्वेदी ने हिंदी को लेकर समय-समय पर उठने वाले प्रश्नों को संबोधित करते हुए उनकी जटिलताओं से आमजन को परिचित कराने का प्रयास करते रहे हैं। पुस्तक मेले में आखिरी दिन के कोलाहल के बीच हुए इस लोकार्पण समारोह में भारतीय जनसंचार संस्थान के मीडिया अधिकारी संदीप सौरभ और प्रकाशक महेश्वर दत्त शर्मा भी मौजूद रहे।

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