To Learn Online Click here Your Diksha Education Channel...


thank for visit purvanchal24
ads booking by purvanchal24@gmail.com

Inspirational story of Ballia : सब्जी बेचकर मां ने बेटे को बनाया दरोगा


बलिया। 'मां' जिसकी महिमा, गरिमा और मधुरिमा को शब्दबद्ध करना बड़ा कठिन है। किसी ने मां की महिमा का वर्णन करते हुए लिखा है कि मां त्याग है। तपस्या है। सेवा है। मां फूंक से ठंडा किया हुआ कलेवा है। मां अनुष्ठान है। साधना है। जीवन का हवन है..। उक्त कविता मां के त्याग व तपस्या से आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। सभ्यता और संस्कृति को अपने दामन में समेटे भृगुनगरी में भी कई शख्सियत हैं, जिनकी सफलता के पीछे नेक व मजबूत इरादों वाली मां की मेहनत है। मां के त्याग व तपस्या ने न सिर्फ उनकी मुश्किलें आसान की, अपितु मुकाम दिलाया है। आज एक ऐसे ही जीवटवाली मां की कहानी जानेंगे, जिसने सब्जी बेच कर अपने लाडले को काबिल बना दिया। 

शहर के जापलिनगंज (पुलिस चौकी) मोहल्ला निवासी रोहित कुमार 12वीं की परीक्षा 2012 में 71प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण किये। सपना था आईआईटी करने का, जिसकी तैयारी के लिए रोहित वाराणसी चले गये, तभी काल का चक्र घुमा और पिता हीरा लाल प्रसाद की असामयिक मौत हो गई। पिता की मौत ने परिवार को झकझोर कर रख दिया। वे आर्थिक संकटों से घिर गए। लिहाजा रोहित का लक्ष्य भी डगमगाने लगा और वह पढ़ाई छोड़ने का मन बना लिया। 

लेकिन मां उषा देवी ने जीवट का परिचय देते हुए बेटे के कंधे पर अपना हाथ रख दिया। मां ने अपने लाडले को परिस्थितियों से जूझने का हौसला देते हुए आगे बढ़ने की हिम्मत दी। आश्वस्त किया कि मजूरी करके भी तुम्हे पढ़ायेंगे। तुम्हे हरहाल में अपने पिता की अंतिम इच्छा को पूरा करना है।  


मां के आश्वासन के बाद भाई दीपक, राहुल और रोशन ने भी हामी भर दी। फिर क्या था, पिता की मौत से उत्पन्न हुई असहज स्थिति से उबर कर रोहित ने पुनः तैयारी शुरू की, नतीजतन इनका चयन बीटेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) के लिए हो गया। एकेटीयू से बीटेक की पढ़ाई 2018 में पूरी करने के बाद रोहित निजी कम्पनी की ओर बढ़ने की सोच में था, तभी मां ने मना किया। कहा कि, बेटा अभी और कुछ पढ़ना हो तो पढ़ लो। फिर, रोहित एसएससी की तैयारी में जुट गये। इस बीच, 2021 की दरोगा भर्ती की परीक्षा में सफल होकर मां सहित पूरे परिवार का सीना चौड़ा कर दिया। 

उत्तर प्रदेश पुलिस में दरोगा का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे रोहित ने अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपनी मां और भाईयों को दिया। पूर्वांचल 24 से बातचीत के दौरान बताया कि उनकी मां ने सब्जी बेचकर उन्हें पढ़ाया-लिखाया। पिताजी की मौत के बाद मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि सब कुछ कैसे होगा? पर ऊपरवाले और मां पर सब छोड़कर मैं तैयारी में जुट गया। जिसकी बदौलत आज मैं सफल हो पाया हूं। मां और भाइयों के त्याग रूपी कर्ज को मैं आजीवन चुका नहीं पाऊंगा। उधर उषा देवी ने कहा कि मेरा बेटा काबिल बन गया है। इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है। वे कहती हैं रास्ते साफ रखिए, कांटे नहीं चूभेंगे और मंजिल भी मिल जायेगी।

Post a Comment

0 Comments