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बलिया से शिक्षामित्रों के जत्था को कर्मचारी नेता ने लखनऊ के लिए किया रवाना

बलिया। यूपी के करीब सवा लाख शिक्षामित्र एक बार फिर आंदोलन की राह पर हैं। 20 फरवरी को रमाबाई आंबेडकर पार्क लखनऊ में होने वाले महासम्मेलन में शामिल होने के लिए रविवार की शाम जिले के शिक्षामित्र बस, ट्रेन और अन्य साधनों से लखनऊ रवाना हुए। वहीं, बलिया बीएसए कार्यालय से जिलाध्यक्ष पंकज सिंह के नेतृत्व में पुरुष और महिला शिक्षामित्रों का जत्था को कर्मचारी नेता वेदप्रकाश पांडेय, प्राशिसं दुबहर के अध्यक्ष अजीत पांडेय व गड़वार अध्यक्ष अनिल पांडेय, मंत्री टुनटुन प्रसाद ने शुभकामनाओं के साथ रवाना किया।

आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षामित्र : पंकज सिंह

उत्तर प्रदेश प्राशिसं के जिलाध्यक्ष पंकज सिंह ने बताया कि प्रदेश के बेसिक स्कूलों में 22 वर्षों से सवा लाख से अधिक शिक्षामित्र तैनात हैं, जिन्हें मात्र 10 हजार रुपये प्रति माह के हिसाब से केवल 11 माह का मानदेय मिलता है। सितम्बर 2017 से शिक्षामित्रों के मानदेय में एक रुपये की भी बढ़ोतरी नहीं की गई। शिक्षामित्र आर्थिक तंगी और अनिश्चित भविष्य को लेकर परेशान है। शिक्षामित्रों को प्रदेश सरकार से काफी उम्मीद है। बताया कि शिक्षामित्र सरकार के विरोध में नहीं, बल्कि अपनी पीड़ा को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाने के लिए महासम्मेलन में प्रतिभाग करने जा रहे है। रमाबाई आंबेडकर पार्क लखनऊ में शिक्षामित्र अपनी पीड़ा व्यक्त करेंगे। सरकार से अपनी मांग रखेंगे। 


जिलाध्यक्ष पंकज सिंह ने कहा कि 90 के दशक में उत्तर प्रदेश में करीब 60 फ़ीसदी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से ताले बन्द थे। ऐसे में केंद्र सरकार के निर्देश पर शिक्षामित्र योजना की शुरुआत बीजेपी सरकार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के कार्यकाल में 1999 में की। 1999 से 2007 के मध्य करीब 1.72 लाख शिक्षामित्रों की नियुक्ति की गई। बेपटरी प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आई तो शिक्षामित्रों ने भी अपने हक की मांग शुरू कर दिया। शिक्षामित्रों को पहले 2250 रुपये मानदेय मिलता था। शिक्षामित्रों के संघर्ष को देखते हुए धीरे-धीरे इनके मानदेय में बढ़ोतरी होती रही। अनिवार्य शिक्षा अधिनियम आने के बाद स्नातक शिक्षामित्रों को सेवारत बीटीसी का प्रशिक्षण कराया गया। 2014 में समाजवादी पार्टी ने सहायक शिक्षक के पद पर समायोजित करना शुरू किया, लेकिन 26 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन रद कर दिया। 

इस बीच, प्रदेश में बनी भाजपा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सभी शिक्षामित्रों को अगस्त 2017 से संविदा कर्मी के रूप में तैनात कर दिया। सितम्बर 2017 तक तकरीबन 40 हजार रुपये वेतन पाने वाला समायोजित शिक्षामित्र अगस्त 2017 से 10 हजार रुपये मानदेय पर संविदा कर्मी के रूप में प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ा रहा है। 5 वर्षों में इनके मानदेय में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। पिछले 22 वर्षों से शिक्षण कार्य कर रहे शिक्षामित्रों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह कमजोर हो गयी है। उम्र के साथ जिम्मेदारियां बढ़ती जा रही है। आज शिक्षामित्र आर्थिक तंगी, अवसाद से जूझ रहे है। इस मौके पर उत्तर प्रदेश प्राशिसं के जिला महामंत्री अमृत सिंह, संजीव सिंह, शशिभान सिंह, अखिलेश पांडेय, श्यामनंदन मिश्र, धर्मनाथ सिंह, लालजी वर्मा, वसुंधरा राय, पूनम तिवारी, परवेज आलम, जितेन्द्र सिंह, नम्रता तिवारी, अमित सिंह समेत सैकड़ों शिक्षा मित्र मौजूद रहे। 

ब्लाकों की स्थिति

20 फरवरी को लखनऊ में महासम्मेलन में प्रतिभाग करने के लिए बलिया के नगरा से संजीव सिंह, पंदह से इन्द्रकेश चौहान व संजय प्रसाद, बेलहरी से मंजूर हुसैन, मनियर से अजय सिंह, नवानगर से फैसल अजीज, रसड़ा से तेजनारायण सिंह, पूनम तिवारी व विनय कुमार, चिलकहर से जयप्रकाश तिवारी व मनोज शर्मा, गड़वार से अवधेश भारती व विनोद शुक्ल, बांसडीह से सत्येन्द्र सिंह, हनुमानगंज से वसुंधरा राय व राजेश प्रजापति, दुबहड़ से लालजी वर्मा, रेवती से अखिलेश वर्मा, बैरिया से अखिलेश पांडेय व मनीष सिंह, मुरलीछपरा से विनोद चौबे, सोहांव से राजेश, बेरुआरबारी से आंनद पांडेय, सीयर से अभय सिंह के नेतृत्व में शिक्षामित्र रवाना हुए।

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