बलिया। 'भिक्षा नहीं शिक्षा चाहिए' यात्रा रविवार को फेफना विधानसभा के चितबड़ागांव में निकाली गई। इस दौरान शिक्षा एक समान, पूर्व व वर्तमान सांसद तथा विधायक अपने बच्चों की तरह वोट देने वाले के बच्चों को पढ़ने की व्यवस्था करें, नहीं तो सरकारी सुविधा छोड़ें' की आवाज गूंजती रही।
समान शिक्षा संघर्ष मोर्चा के संयोजक राधेश्याम यादव का कहना है कि एक देश में दो तरह की शिक्षा व्यवस्था क्यों है? सरकारी स्कूलों में सिर्फ किसान मजदूर, रिक्शा चालक, ठेला चालक और फुटपाथ पर रहने वाले का बच्चा पढ़ेगा और प्राइवेट स्कूलों में नेता, अधिकारी तथा अमीर का बच्चा पढेगा ऐसा क्यों? राधेश्याम यादव का कहना है कि संसद में एक बिल लाकर शिक्षा एक समान की व्यवस्था हो। प्रधानमंत्री का बेटा और उनके घर में झाड़ू पोछा करने वाले का बेटा, जब एक साथ एक ही स्कूल में पढ़ेंगे, तभी देश का विकास होगा।
कहा कि प्रदेश व देश की सरकारी शिक्षण संस्थाओं में पढ़ने पढ़ाने की व्यवस्था गिर चुकी है। इसके पीछे सारा दोष हमारे चुने गए जनप्रतिनिधियों का है। पद पाते ही उनका स्तर अचानक बढ़ जाता है। वह अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए प्राइवेट महंगे विद्यालयों में विदेशों तक भेजते हैं, जबकि देश में सबसे ज्यादा मध्यम, निम्न आय वर्ग, गरीब वर्ग के लोग अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में ही पढ़ाते हैं।
हमारे देश के महापुरुषों ने आजादी के लिए शिक्षा को जरूरी समझा, लेकिन आज देश में दो तरह की शिक्षा व्यवस्था चल रही है। जरूरत यह है कि सबसे पहले चुने हुए जनप्रतिनिधि अपने बच्चों, अपने आश्रितों को सरकारी विद्यालय में पढ़ने के लिए भेजें। यह लोग अपने बच्चों को जब अनिवार्य रूप से पढ़ने के लिए भेजेंगे तो वहां की समस्या को समझेंगे और सुधार करने का प्रयास करेंगे।
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