बलिया। सन् 1942 में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कुछ दिनों के लिए स्वतंत्र हुए बलिया के इतिहास पर अंतरराष्ट्रीय फिल्म बनेगी। इसकी घोषणा मॉन्टेनीग्रो (Montenegro) की भारतीय राजदूत और बलिया के तत्कालीन कलेक्टर जे. निगम की सुपौत्री डॉ. जेनिस दरबारी ने शनिवार देर शाम की। बताया कि उन्होंने अपने नाना जे. निगम पर केंद्रित किताब द एडमिनिट्रेटर लिखा है।
लोक निर्माण विभाग के डाक बंगले में प्रेस कांफ्रेंस में डॉ. दरबारी ने कहा कि बलिया का इतिहास क्रांतिकारी रहा है। देश की आजादी से पांच वर्ष पहले ही 1942 में 19 अगस्त को बलिया ब्रिटिश हुकूमत से आजाद हो गया था। यह पूरी दुनिया में सत्ता के शांतिपूर्वक हस्तांतरण की अनोखी मिसाल है। तब चालीस हजार की भीड़ के सामने बिना एक बूंद खून बहे जे. निगम द्वारा सत्ता का हस्तांतरण हुआ था। कहा कि बलिया में जो हुआ, उससे ब्रिटिश सरकार हिल गई थी। वह ट्रांसफर ऑफ पावर ब्रिटिश सरकार के लिए एक केस प्रोसिडिंग बन गई थी।
डॉ. दरबारी ने कहा कि बलिया का इतिहास महान है। यहां से मेरा भावनात्मक लगाव है। मैं सन 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो का इतिहास जानती हूं, क्योंकि उनके नाना जे. निगम के पिता कोर्ट में रीडर थे। वे कोर्ट में देखते थे कि आखिर भारतीय लोगों के साथ कोर्ट में किस प्रकार से भेदभाव होता था। कहा कि मेरे नाना ने अपनी पढ़ाई स्ट्रीट लाइट में की थी। बाद में इलाहाबाद विवि में पढ़ाई की। वहीं महात्मा गांधी से मुलाकात हुई। बाद में आईसीएस अफसर बने।
उनके मन में ब्रिटिश सरकार के दौरान होने वाले अत्याचार को बदलना था। उन्होंने बलिया में इसे बखूबी निभाया, जिसका नतीजा था कि उन्होंने शक्ति का शांतिपूर्ण हस्तांतरण किया। इससे ब्रिटिश सरकार भी हिल गई। ब्रिटिश सरकार को सूझ नहीं रहा था कि जे निगम को कैसे बर्खास्त किया जाए। क्योंकि उस वक्त आईपीएस अधिकारियों को बर्खास्त करने का प्रावधान नहीं था। लेकिन जे निगम को विशेष मीटिंग बुलाकर ब्रिटिश सरकार ने बर्खास्त किया।
डॉ. जेनिस दरबारी ने कहा कि आज विश्व में शांति की जरूरत है। बलिया में वह शक्ति है, जो विश्व की शांति के लिए काम आ सकता है। बोलीं, मैं बलिया उस इतिहास को आगे लाने की कोशिश कर रही हूं, जो आज भी अनदेखा है। हालांकि, अपनी किताब द एडमिनिट्रेटर में मैंने बहुत कुछ समेटने का प्रयास किया है। हमलोग इसी को आधार बनाकर बलिया के इतिहास पर फीचर फिल्म बनाएंगे, जो विश्व स्तर पर दिखाई जाएगी, जिससे दुनिया जानेगी कि बलिया का क्या जुनून था।
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