बलिया। माघ कृष्ण पक्ष चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी अथवा वक्रतुण्ड चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन विद्या- बुद्धि- वारिधि गणेश तथा चन्द्रमा की पूजा की जाती है। इस व्रत को पुत्रवती माताएं पुत्र और पति के सुख- समृद्धि एवं दीर्घायु की कामना के लिए व्रत रखती हैं। दिनभर व्रत रखने के बाद सायंकाल गौरी- गणेश की पूजा कर नैवेद्य के साथ तिल, ईख, कंद, अमरूद, गुड़ तथा घी का भोग लगाना चाहिए।
यह चढ़ाया हुआ नैवेद्य रात्रि भर डलिया इत्यादि से ढ़क कर रख देना चाहिए जिसे पहार कहा जाता है। इस ढ़के हुए पहार को पुत्र के द्वारा खुलवाना चाहिए तथा भाई- बंधुओं में बंटवाना चाहिए जिसके कारण भाई-बंधुओं में आपसी प्रेम बढ़ता है। सायंकाल गौरी-गणेश की पूजन के बाद चन्द्र दर्शन होने पर दूध का अर्घ्य देकर चन्द्रमा से पुत्र की सुख तथा दीर्घायु की कामना के लिए प्रार्थना कर तिल- गुड़ से मिश्रित मोदक ब्राह्मण को दान कर स्वयं पारण करना चाहिए। संकष्ट चतुर्थी व्रत इस माह में दिनांक 10/01/ 2023 दिन मंगलवार को है तथा अर्घ्य देने का समय रात्रि में (8:23) 8 बजकर 23 मिनट के बाद है तथा व्रती महिलाएं 8:23 बजे के बाद पारण करें।
अमृतपाली बलिया
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