बलिया। कोई भी प्रयोजन व्रत मास पक्ष तिथि और दिन के सहयोग से संपन्न होते हैं। विद्वानों के अनुसार मास चार प्रकार के माने गए हैं। सौर मास, सावन मास, चान्द्र मास और नाक्षत्र मास। इस संबंध में आचार्य पंडित आदित्य पराशर का कहना है कि सभी प्रयोजन के अनुसार अलग-अलग कार्य के लिए अलग-अलग मास का प्रयोग किया जाता है। जैसे विष्णु पुराण में वर्णित है कि विवाह आदि शुभ कार्य के लिए सौर मास, यज्ञादि कार्य के लिए सावन मास, श्राद्ध आदि पितरों के कार्य में चान्द्रमास और नक्षत्र सम्बंधी यज्ञ मूलादि शांति के लिए नाक्षत्र मास का प्रयोग किया जाता है।
मूलतः सृष्टि के आरम्भ के समय चंद्रमा चित्रा नक्षत्र पर थे, इसलिए चैत्र मास को प्रथम मास माना गया। इस तरह प्रायः सभी पुराणों में माघ, कार्तिक और बैसाख को महापुनीत मास माना गया है। इन महीनों में तीर्थ स्थान पर रहकर नित्य प्रतिदिन स्नान दान करने से अनंत फल प्राप्त होता है। स्नान के लिए काशी और प्रयागराज उत्तम माना गया है। वहां न जा सकें तो सरिन्तोयं महावेगम् अर्थात वेग से बहने वाली नदी में स्नान करना चाहिए।
आचार्य आदित्य पराशर ने बताया कि इस वर्ष 14 जनवरी को रात्रि में 2 बजकर 53 मिनट पर सूर्य का संक्रमण काल प्रारंभ हो रहा है। इसलिए अगले दिन 15 जनवरी 2023 को संध्या काल तक पुण्य काल मिल रहा है। इसलिए 15 जनवरी 2023 को अरुणोदय के समय अर्थात् सूर्योदय के समय समुद्र में गंगासागर, काशी में, प्रयाग में अथवा किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने का विधान है। स्नान करने के बाद ब्राह्मणों, भिक्षुकों तथा भाई-बंधुओं को भोजन तथा तिल, गुड़, उड़दयुक्त अन्न, वस्त्र पत्रादि सहित मोदक दान करना चाहिए।
स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल मिलता है, जो लोग घर पर स्नान करेंगे वो पानी में गंगाजल एवं काली तिल डालकर स्नान करें। तिलयुक्त जल से स्नान करने का महत्व है। इस वर्ष मकर संक्रांति पर्व 15 जनवरी 2023 दिन रविवार को मनाई जाएगी। इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे तथा सूर्य इसी दिन दक्षिणायण से उत्तरायण होंगे। इसी के साथ शुभ कार्य विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत, मुण्डन इत्यादि मंगलकार्य प्रारंभ हो जाएंगे।
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