सिकंदरपुर, बलिया। एक तरफ प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार में जीरो टॉलरेंस की बात कर रही है तो दूसरी ओर सरकारी मुलाजिम भ्रष्टाचारियों से सांठ गांठ कर सरकार के मंसूबे पर पानी फेर रहे हैं। इसे नवानगर ब्लॉक के ग्राम सभा डूहा विहरा के कोटे की दुकान के निलंबन और बहाली की कहानी से समझा जा सकता है। विभागीय अधिकारियों ने मिलीभगत कर करीब 500 कुंतल के खाद्यान्न घोटाले के आरोपी को न सिर्फ क्लीन चिट दे दिया, अपितु राशन की निलंबित दुकान भी बहाल करा दी। मामला सामने आने के बाद ग्रामीणों में विरोध का स्वर मुखर होने लगा है।ग्रामीणों ने जिलाधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को पत्रक देकर पुनः जांच की मांग की है।
क्या है मामला
आरोप है कि तहसील सिकंदरपुर के ग्राम सभा डूहा विहरा की कोटेदार परमशीला देवी ने अप्रैल 2016 से मार्च 2018 तक करीब 7080 फर्जी राशन कार्ड के सहारे खाद्यान्न का उठान किया और उसे खुले बाजार में बेच दिया। ग्रामीणों को जब इसकी भनक लगी तो सक्षम अधिकारियों से शिकायत कर जांच की मांग की। तत्कालीन नायब तहसीलदार ने अपनी जांच रिपोर्ट में आरोप को सही पाया और कार्रवाई की संस्तुति कर दी। रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन एडीएम ने दुकान को निलंबित कर दिया। इस बीच आरोपी ने मंडलायुक्त के यहां निलंबन के खिलाफ याचिका दाखिल कर दिया। मंडलायुक्त के निर्देश पर पूर्ति निरीक्षक ने जांच कर दुकान का अनुबंध पत्र ही निरस्त कर दिया। एक बार फिर मंडलायुक्त के दरबार में पहुंच आरोपी कोटेदार ने न्याय की गुहार लगाई।
क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी ने किया घालमेल
मंडलायुक्त ने अनुबंध पत्र के निरस्तीकरण को खारिज करते हुए जांच की जिम्मेदारी क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी मनोज पांडेय को सौंपी। ग्रामीणों का आरोप है कि मनोज पांडेय ने कोटेदार से मिलीभगत कर खूब घलमेल किया और जांच रिपोर्ट में कोटेदार को क्लीनचिट दे दी। इसके आधार पर एसडीएम सिकंदरपुर अखिलेश कुमार ने बीते 30 सितंबर को कोटे की दुकान को फिर से बहाल कर दिया।
ग्रामीण हो रहे लामबंद
अब एक बार फिर ग्रामीण इस निर्णय के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। गांव निवासी राजेश सिंह और अंगेश यादव ने बताया कि कोटेदार ने अपने स्पष्टीकरण में भी 1424.58 कुंतल राशन के उठान और 1138.22 कुंतल वितरण की बात बताई है, जो 286.86 कुंतल गबन को प्रमाणित करता है। बावजूद दुकान बहाल करना समझ से परे है।
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