बलिया। भारी-भरकम प्रीमियम और सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं। प्राथमिक शिक्षकों को दिए जाने वाला सामूहिक बीमा भी कुछ इसी तरह का है। खुले बाज़ार में प्राइवेट बीमा कंपनी कम दरों पर सुविधाएं दे रही हैं, जबकि शिक्षकों का सामूहिक बीमा महंगा।
शासन द्वारा प्रस्तावित बीमा में एम्बुलेंस खर्च 2500 रुपये निर्धारित है, जबकि हॉस्पिटल में भर्ती होने पर ICU और रूम रेंट में क्रमशः बीमित राशि का 2% और 1% निर्धारित है। मसलन यदि शिक्षक तीन लाख का बीमा लेता है तो ICU में 6000 और कमरे के भाड़े के लिए 3000 रुपये ही मिलेंगे। वहीं, प्राइवेट कंपनियों द्वारा दी जाने वाली पालिसी में इस तरह की कोई भी कैपिंग नहीं है।
Pre-hospitalization और Post-Hospitalization के मामले में जहां प्राइवेट बीमा क्रमशः 60 और 180 दिन का खर्च वहन कर रहे हैं, वहीं शिक्षकों के लिए निर्धारित बीमा 30 और 60 दिन का खर्च ही वहन करेगा। कुछ बीमा पालिसी में बीमा राशि के पूरा खर्च हो जाने पर कुछ शर्तों के साथ बीमा राशि पुनः restore हो जाती है। राइडर बेनिफिट साथ में ले लेने पर OPD कंसलटेशन की छोटी मोटी सुविधा भी मिल जा रही है। सरकारी पालिसी में इसके बारे में भी कोई जिक्र नहीं है।
बेशक पालिसी pre existing diseases को पहले दिन से कवर करने तथा शिक्षक के माता-पिता को 85 वर्ष तक कवरेज देने के मामले में प्राइवेट पालिसी से बेहतर है, लेकिन ये बीमा भी शिक्षक और उसके परिवार को केवल सेवाकाल अर्थात 62 वर्ष तक ही उपलब्ध है। शिक्षक के सेवानिवृत्त होने पर ये बीमा समाप्त हो जाएगा और वृद्धावस्था में प्राइवेट बीमा भी सहजता से नहीं मिल पायेगा। शिक्षकों के लिए ये बड़ी समस्या है।
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