बैरिया, बलिया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोटे अनाज को मान्यता मिलने के बाद खुशी का इजहार करते हुए सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त ने अपने राजनैतिक जीवन का ऐतिहासिक पल बताया। कहा कि मैं काफी दिनों से सदन के बाहर व सदन के भीतर मोटे अनाजों के उत्पादन करने वाले किसानों को प्रोत्साहन देने और उसकी खेती बढ़ाने व लोगों से मोटे अनाज से बने व्यंजनों का सेवन करने का आग्रह कर रहा था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेरे बातों से सहमत होकर वर्ष 2023 को विश्वस्तर पर मोटे अनाज के उत्पादन के लिए अन्य देशों से बातचीत कर सहमति किया। अपने यहां 2023 को मोटा अनाज उत्पादन वर्ष घोषित किया। वहीं मोटे अनाजो से बने व्यंजनों का भोज लोकसभा व राजसभा के समस्त सांसदों को दिया। उक्त भोज में बाजरा, कोदो, संवा, सांई, मडुवा व मक्का से बना व्यंजन परोसा गया। सभी सांसद ने उसका स्वाद लिया और इसका श्रेय मुझको दिया। यह मेरे लिए बड़ी बात है।
सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त ने सोनबरसा स्थित अपने सांसदीय कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि गंगा, घाघरा के तटवर्तीय इलाको में मोटे अनाज का रिकार्ड उत्पादन होता है। क्योंकि इसके लिए हमारी मिट्टी व जलवायु दोनों अनुकूल है। पुराने जमाने में पूर्वज मोटे अनाज पैदा करते थे और उसका सेवन करते थे, और रोग मुक्त रहते थे। आज के परिवेश में विभिन्न प्रकार के रोगों का मकड़जाल लोगों को ग्रसित करते जा रहा है। उससे बचने के लिए मोटे अनाज का सेवन आवश्यक है। मोटे अनाज के सेवन से लीवर,किडनी,हड्डी व चमड़े के रोग से बचा जा सकता है।
ये बाते हमारे चिकित्सक व वैज्ञानिक प्रमाणित कर रहे है।सांसद ने कहा कि मोटे अनाजो के उत्पादन व प्रोत्साहन के लिए राज्य सरकार व केंद्र सरकार मिलकर कई योजनाएं शुरू करने जा रही है। जिसका लाभ मोटे अनाज का उत्पादन करने वाले किसानों को मिलेगा।सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त ने 2023 को मोटे अनाज के उत्पादन के लिए समर्पित करने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व पूरी सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इससे समाज पर अनुकूल दूरगामी असर पड़ेगा।
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