दुबहड़, बलिया। पशुपालन एवं डेयरी विभाग मंत्रालय, भारत सरकार की तरफ से विशेषकर दुधारू गायों को प्रभावित करने वाला एलएसडी अर्थात लंपी स्किन डिजीज के लिए व्यापक स्तर पर टीकाकरण शुरू कर दिया गया है। इसी क्रम में जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल के निर्देशानुसार क्षेत्र के नगवा, जनाड़ी, अड़रा, पांडेय पुर, घोड़हरा, सपहा, शिवपुर दियर, शिवपुर दियर नई बस्ती, बेयासी, भरसर, ओझा कछुहा, बसरिका पुर, प्राणपुर आदि गांवों में युद्घ स्तर पर शुक्रवार तक लगभग तीन हजार पशुओं को टीकाकरण से आच्छादित किया जा चुका है।
दुबहड़ स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय के पशु चिकित्साधिकारी डॉ सुनील कुमार एवं टीकाकरण के नोडल अधिकारी डॉ राममूर्ति यादव ने संयुक्त रूप से बताया कि मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ गीतम सिंह के दिशा निर्देशन में दुबहड़ ब्लॉक के विभिन्न गांवों में लंपी बीमारी के टीकाकरण के लिए चार टीमें गठित की गई है। जिनमें एक स्थानीय टीम के अलावा तीन अन्य टीमें बाहर से बुलाई गई हैं। जो युद्ध स्तर पर पशुपालकों के दरवाजे-दरवाजे जाकर टीकाकरण कर रहे हैं। राजकीय पशु चिकित्सालय सदर के उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि भारत में कोरोना वायरस और मंकी पॉक्स के बाद एक और रोग लंपी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) पशुओं विशेषकर गायों में तेजी से फैल रहा है। जिसके मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। लंपी स्किन डिजीज के कारण कई राज्यों में पशुओं के मौत भी हो रही है।
लंपी त्वचा रोग के लक्षण और कारण
लंपी त्वचा रोग एक विशेष प्रकार के वायरस के कारण मवेशियों में फैल रहा है। जिसे गांठदार त्वचा रोग वायरस (LSDV) कहा जाता है। इसके तीन प्रकार हैं- 01- कैप्रिपॉक्स वायरस (Capripoxvirus) 02- गोटपॉक्स वायरस (Goatpox Virus) और 03- शीपपॉक्स वायरस (Sheeppox Virus)।
पशु रोग विशेषज्ञ बताते है कि लम्पी बीमारी एक संक्रमित गाय के संपर्क में आने से दूसरी अन्य गायों में फैलती है। यह रोग मक्खी, मच्छर या फिर जूं द्वारा खून चूसने के दौरान भी फैल सकती है। यह एक प्रकार का संक्रामक रोग है, जो एक गाय से दूसरे अन्य गायों के संपर्क में आने से भी फैल सकता है। लंपी स्किन डिजीज के कारण प्रारंभिक अवस्था में पशुओं के त्वचा पर चेचक, चकते, नाक बहना, तेज बुखार, शारीरिक कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। भारत के कई राज्यों में लंपी रोग कारण कई गायों की मौत हो चुकी है। लंपी बीमारी के कारण अधिकतर गायों की मौत हो सकती है। जिसके कारण भारत में दूध उत्पादन क्षमता प्रभावित हो सकता है।
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