बलिया। 'स्वयं का दर्द महसूस होना जीवित होने का प्रमाण है, लेकिन औरों का दर्द महसूस करना इन्सान होने का प्रमाण है।' कुछ ऐसी ही इंसानियत का मिशाल बना है शिक्षा क्षेत्र चिलकहर का बेसिक शिक्षा परिवार। शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक और रसोईयों के हित की बात तो तमाम संगठन करते है, पर शिक्षा क्षेत्र चिलकहर के शिक्षकों का अंदाज सबसे जुदा है। 'जिन्दगी के साथ भी-जिन्दगी के बाद भी' को चरितार्थ करने वाले बलिया के इस शिक्षा क्षेत्र की चाहे जितनी प्रशंसा की जाय, कम है।
ताजा मामला भरथीपुर की दिवंगत रसोईया आरती पाण्डे से जुड़ा है। बेसिक शिक्षा चिलकहर की टीम दिवंगत रसोईया आरती पाण्डे के दरवाजे पर पहुंच कर न सिर्फ संवेदना व्यक्त की, बल्कि उनके पुत्र मंटू पांडे को 25000 रुपये सहयोग राशि भी दी। इस मौके पर प्राशिसं चिलकहर के अध्यक्ष राधेश्याम सिंह, विबीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष अनिल सिंह, महिला शिक्षक संघ की अध्यश रंजना पांडेय, बलवंत सिंह, अरूण पांडेय, अनिल सिंह सेंगर, पवन सिंह, शिवजनम यादव, जावेद, सत्यजीत सिंह, संजय वर्मा, अभय यादव, संजय सिंह, शैलेश पाण्डेय, रामायण यादव, हरेंद्र जी, रीता राजभर, आशुतोष सिंह वीरेन्द्र सिंह, मुकेश इत्यादि उपस्थित रहे।
'आपदा राहत कोष' सार्थक सोच का परिणाम
बता दें कि शिक्षा क्षेत्र चिलकहर का बेसिक शिक्षा परिवार न सिर्फ शिक्षक, बल्कि शिक्षामित्र, अनुदेशक व रसोईयों के साथ हमेशा कदम मिलाकर चलता है। उनके सुख-दुख का साथी बनता है। यही नहीं, यहां के शिक्षकों ने एक 'आपदा राहत कोष' भी बनाया है, ताकि असमय साथ छोड़ने वाले साथियों के परिजनों को तत्कालीक रूप से आर्थिक सहयोग किया जा सकें। अब तक एक दर्जन से अधिक उन शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक व रसोईयों के परिवार को सहयोग राशि दी जा चुकी है।
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