हिंदी दिवस 14 सितम्बर
साहित्य सुंदरी के माथे
चटकार लाल शोभित बिंदी।
निज हाव-भाव हैं सरस सरल
आलंकृत भूषित है हिंदी।।
वात्सल्य विचरता है इसमें
शब्दों के शब्द अनेकों हैं।
भवाभिव्यक्ति की शक्ति प्रबल
वाणी में ओज प्रबलतम है।।
कवियों की कोमलता इसमें
वीरों की वीर गर्जना है।
साहित्य समंदर के जैसा
हिंदी अनमोल नगीना है।।
अब हिंदी भाषी, हिन्द निवासी
इसकी रक्षा में उठ जाओ।
अपने सोए नन्हें मुन्नों से
हिंदी की पहचान कराओ।।
चटकार लाल शोभित बिंदी।
निज हाव-भाव हैं सरस सरल
आलंकृत भूषित है हिंदी।।
वात्सल्य विचरता है इसमें
शब्दों के शब्द अनेकों हैं।
भवाभिव्यक्ति की शक्ति प्रबल
वाणी में ओज प्रबलतम है।।
कवियों की कोमलता इसमें
वीरों की वीर गर्जना है।
साहित्य समंदर के जैसा
हिंदी अनमोल नगीना है।।
अब हिंदी भाषी, हिन्द निवासी
इसकी रक्षा में उठ जाओ।
अपने सोए नन्हें मुन्नों से
हिंदी की पहचान कराओ।।
डॉ मिथिलेश राय
बलिया उ.प्र.
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