बलिया। हनुमत उपासक प्रख्यात संत श्री श्री 108 श्री कमलदास वेदांती जी की पावन स्मृति में 26 सितम्बर को विशाल भंडारा का आयोजन दूबेछपरा स्थित समाधि स्थल पर किया गया। पूर्वांचल में लोकप्रिय संतों में शुमार संत शिरोमणि कमलदास वेदांती जी की प्रथम पुण्यतिथि को भव्यता प्रदान करने के लिए इलाके के लोग तन-मन-धन के साथ जुटे है। हर साल गंगा किनारे यज्ञ व भंडारा कराकर भक्तों को आस्था तथा श्रद्धा की छांव देने वाले वेदांती जी बजरंगबली के अनन्य भक्त थे। लगातार संकट मोचन का बखान करने वाले वेदांती जी 07 अक्टूबर 2021 को स्वर्ग सिधार गये थे। सैकड़ों अनुयायियों के बीच वेदांती जी क़ी समाधि दूबेछपरा के पास वैदिक मंत्रोच्चार के बीच दी गयी थी।
कमलदास वेदांती जी महाराज का संक्षिप्त परिचय
बैरिया तहसील के सेवकटोला निवासी वेदान्ती जी ने उच्च शिक्षा बीएचयू वाराणसी से ग्रहण की थी।अध्ययन काल में ही इनका झुकाव आध्यात्म की ओर होने लगा और वे संसार का मोह-माया त्यागकर संन्यास धारण कर लिये। वर्ष 1986 में सन्यासी जीवन के बीच वेदान्ती जी गंगा नदी से सटे गंगौली स्थित परम संत योगीबीर बाबा की समाधि स्थल व श्री रामाश्रय जी महाराज की कुटिया पर पहुंचे। वेदांती जी ने आश्रम पर भव्य हनुमान मंदिर का निर्माण भी कराया।
हनुमत उपासक वेदान्ती जी प्रत्येक वर्ष कार्तिक अमावस्या (हनुमत जयन्ती) पर पांच दिवसीय यज्ञ व विशाल भण्डारे का आयोजन करते थे। वर्ष 1988 में वेदांती जी का नया ठिकाना श्रीनगर गांव के सामने गंगा तट पर हो गया। वर्ष 1991 से वेदांती जी गोपालपुर गांव के पास गंगा किनारे कुटिया बनाकर रहने लगे। वर्ष 2016 से 2021 के बीच वेदांती जी की कुटिया दो बार गंगा में विलीन हुई, लेकिन वे ठिकाना नहीं बदले।कहा जाता है कि पवन पुत्र हनुमान जी के भक्त कमल दास वेदांती जी उन गिने चुने संतो में शामिल रहे है, जिन्हें राम भक्त हनुमान का साक्षात्कार हो चुका था। वेदों को रग-रग में संजोये वेदान्ती जी का सरल व मृदुल स्वभाव यहां के लोगों के तन-मन में अलंकृत है।
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