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बलिया की बड़ी आबादी का दर्द : बेरंग पानी से बदरंग जीवन, रक्तरंजित लाश और कोरा आश्वासन !


रवीन्द्र तिवारी की स्पेशल रिपोर्ट
रामगढ़, बलिया। यूं तो बेरंग पानी जीव मात्र के जीवन को रंगीन बनाता है, लेकिन बाढ़ में जो पानी का सैलाब आता है उसी पानी से कुछ लोगो का जीवन बदरंग सा हो गया है। लगभग दो दशक से बाढ़ व कटान से कई दर्जन गांव गंगा की आगोश में समाते चले गए और गांव की आबादी का एक हिस्सा निजी आवासीय भूमि के अभाव में मुख्यमार्ग पर झुग्गी-झोपड़ियों को ही अपनी नियति मान बैठी। पचरुखिया से लेकर दुबेछ्परा एनएच-31 किनारे बसे इन कटानपीड़ितों का जीवन अनेक दुश्वारियों से भरा रहता है। आये दिन तरह-तरह की विपदा और दुर्घटनाएं इनके लिए तलवार की धार पर चलने जैसा है।

विगत शुक्रवार की अलसुबह इन्हीं एक कटानपीड़ित की झोपड़ी में आम से भरी बेकाबू पिकअप घुस गई, जब पूरा परिवार नींद के आगोश में सोया हुआ था। इस दुर्घटना में जहां परिवार के मुखिया की मौत हो गई, वही दो अन्य युवक गम्भीर रूप से घायल हो गए। दुर्घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने जब मुख्यमार्ग को रोकने की कोशिश की, तब बैरिया तहसील के आला अधिकारी समेत बैरिया थानाध्यक्ष ने मौके पर आकर आश्वासन दिया कि कटानपीड़ितों को शीघ्र ही पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी। गहरा सवाल यह है कि इससे पूर्व भी शासन स्तर से इन कटानपीड़ितों को कई बार विस्थापन का कोरा आश्वासन मिल चुका है। आखिर शासन-प्रशासन को कितने दुर्घटनाओं का इंतजार है?

पूर्व में भी हो चुकी है, घटना-दुर्घटना

शुक्रवार की दुर्घटना में हुई मौत कोई नई बात है, बल्कि इससे पूर्व भी कई दुर्घटनाओं में कटानपीड़ितों को जान-माल की हानि हो चुकी है।सितम्बर 2020 को सुघर छ्परा में सड़क किनारे झोपड़ी में बेकाबू बोलेरो घुसने से श्रीनगर निवासी तेतरी देवी पत्नी बिकाऊ गोड़ की मौत हो गई थी।तब भी सम्बंधित अधिकारी मौके पर आकर पुनर्वास का आश्वासन दिए थे। विडम्बना यह है कि मृतका के परिजन को आज तक कुछ भी हासिल नहीं हुआ। दूसरी घटना सुघर छ्परा ढाले का ही है जब हरिजनों की झोपड़ी में आग लग गई और इस अग्निकांड में लल्लन हरिजन की दो वर्षीय अबोध गुड़िया आग की भेंट चढ़ गई। साल भर पूर्व कटानपीडित श्रीनगर निवासी फुलेना राम की पांच वर्षीय पौत्री मुन्नी उस समय काल के गाल में समा गई, जब वह अपने झोपड़ी के बाहर खेल रही थी और रफ्तार से आती बोलेरो ने कुचल दिया।

बरसात में जहरीले सांप-बिच्छु भी देते है दंश

इन कटान पीड़ितों के समक्ष हर मौसम एक चुनौती ही होता है। बरसात में जहां ये टपकते छप्पर तले रात गुजारने को विवश होते है, वही जहरीले सांप-बिच्छुओं से इनका सदैव सामना होता रहता है। दो साल पूर्व उदई छ्परा निवासी कौशल्या देवी (40) पत्नी स्व. अर्जुन तियर की पत्नी चारपाई के अभाव में झोपड़ी में भूमि पर ही सोई थी, तभी एक जहरीले सांप ने डंस लिया।काफी इलाज के बाद भी कौशल्या को बचाया नही जा सका। कौशल्या के पति की एक दुर्घटना में पूर्व ही मौत हो चुकी थी। वर्तमान में उनके बच्चे अनाथ का जीवन जी रहे है। तब गोपालपुर ग्रामसभा के तत्कालीन प्रधान मनोज यादव ने उन्हें पांच हजार रुपये की त्वरित आर्थिक मदद किया था। मृतका के बच्चे आज भी सरकारी मदद से मरहूम है। इन घटनाओं को देखते हुए शासन को चाहिए कि शीघ्र इन्हें सुरक्षित स्थान पर विस्थापित किये जायें, अन्यथा दुर्घटनाओं की लिस्ट लम्बी हो सकती है।

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