हम लड़के पिता को गले नहीं लगाते, हम लड़के पिता के गालों को नहीं चूमते और न ही पिता की गोद मे सर रखकर सुकून से सोते हैं..
पिता-पुत्र का रिश्ता मर्यादित होता है। अक्सर जब फ़ोन करता था, मम्मी से बात होती है। पीछे से दबे दबे शब्दों में पापा भी कुछ कहते थे। सवाल पूछते थे या फिर सलाह तो देते ही थे। कुछ नहीं होता था जब कहने को, तो खांसने की एक आवाज उनकी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए काफी होती थी। पापा की शिथिल होती तबियत का हाल भी हम लड़के मां से पूछते हैं। मां के सहारे ही दवाइयों, परहेज, व्यायाम इत्यादि की सलाह भी देते हैं।
पिता-पुत्र शुरुआत से ही एक दूरी पर रहते हैं। दूरी अदब की, लिहाज की, संस्कार की या फिर जेनरेशन गैप की। हर बेटे का मन करता है इन दूरियों को लांघता हुआ जाए और अपने पिता को गले से लगाकर कहे-आई लव यू डैडी। जिस तरह मदर्स डे पर मां को विश करते हैं, उसी तरह फादर्स डे पर पापा को गले लगाकर विश करना हम सभी लड़कों का स्वप्न है, मगर हम कभी नहीं कर पाते हैं। मां को जितना प्यार करते हैं, पापा का उतना ही सम्मान। और ये सम्मान की दीवार इतनी ऊंची हो चुकी है कि प्यार की छलांग उसे लांघ नहीं पाती।
MISS U PAPAराजेश सिंह गुड्डू
शिक्षक
रामजीत सिंह जूनियर हाई स्कूल कर्णछ्परा, बलिया
शिक्षक
रामजीत सिंह जूनियर हाई स्कूल कर्णछ्परा, बलिया
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