तोटक छंद
कवि आज उठा कर शस्त्र चले।
मसि और मसीपथ अस्त्र चले।।
बन कागज युद्धधरा बिखरा।
हर शब्द यहां निखरा निखरा।।
कवि आज उठा कर शस्त्र चले।
मसि और मसीपथ अस्त्र चले।।
बन कागज युद्धधरा बिखरा।
हर शब्द यहां निखरा निखरा।।
बन चित्र हिया पर छा रहते।
अपने पर जो गुजरी कहते।।
बस शब्द नहीं यह खंजर हैं।
खुद में सिमटे कुछ मंजर हैं।।
मन में उपजे अवसाद कभी।
दुख ही लगते परिणाम सभी।।
तुम देख इन्हें मन धैर्य धरो।
हिय में अपने तुम शौर्य भरो।।
दुख ही लगते परिणाम सभी।।
तुम देख इन्हें मन धैर्य धरो।
हिय में अपने तुम शौर्य भरो।।
मन भाव यहीं पर हैं उलझे।
इक छोर धरें तब ये सुलझे।।
मत आस करो तुम और कहीं।
प्रभु नाम जपो मन ठौर यहीं।।
प्रभु नाम जपो मन ठौर यहीं।।
स्मिता सिंह
प्रभारी प्रधानाध्यापिका
कम्पोजिट विद्यालय टोला फतेह राय
मुरलीछपरा, बलिया
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