मां एक ऐसा शब्द है, जिसमें पूरी सृष्टि ही समाहित है। मां के बिना इस सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ऐसा स्वरूप, जिसकी स्मृति मात्र से ही हमारे अंदर इतनी शक्ति आ जाती हैं कि हम किसी भी परिस्थिति में खुद को संभाल सकें। मां इस धरती पर ईश्वर का दिया सबसे बड़ा उपहार है। जिसके थप्पड़ से चोट तो लगती हैं पर दर्द उसे होता है वो है मां।एक असहनीय पीड़ा से गुजरकर हमें रूप देने वाली हैं मां। उम्र भले जितनी भी हो जाए सुकून जिसके गोद में मिलती हैं वो है मां। मां तू जगत जननी है। तू शक्ति स्वरूपा है। आपसे दूर रहकर जीवन कितना कठिन होता है, हम बेटियों से कोई पूछे मां। जब भी दर्द मिले उस पल जिसकी कमी महसूस हो वो है मां। मां आप अनमोल हो, अतुल्य हो। एक ऐसा स्वरूप जिसके वर्णन के लिए जितने भी शब्दों की माला पिरोए जाए कम है। मेरी मां और दुनिया के सभी मातृ शक्ति के चरणों में मेरा शीश नमन।
प्रावि बघेजी, हनुमानगंज, बलिया
0 Comments