सुखपुरा, बलिया। संत यतीनाथ मंदिर आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन बाल कलाकारों ने नारद मोह का सजीव मंचन किया, जिसे देख और कथा सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। श्रद्धालुओं की उमड़ी भारी भीड़ के बीच स्वामी राधारंग जी महाराज ने कहा कि जब नारद जी को अभिमान का रोग हो गया, उन्हें ऐसा लगने लगा कि मैंने काम के ऊपर विजय प्राप्त कर ली है तो उन्होंने यह बात भगवान शिव को अभिमान पूर्वक बताई। भगवान शिव ने कहा कि आपने यह बात हमसे तो बता दी, किंतु भगवान विष्णु से नहीं कहिएगा। नारद जी ने भोलेनाथ की बातों का अनादर कर भगवान विष्णु से भी अभिमान पूर्वक सारी बातें बता दी।
अभिमान के कारण उनका पतन न हो जाए, इसको देखते हुए भगवान ने अपनी माया को आदेश देकर एक सुंदर नगर की रचना करा दी और उसमें विश्वमोहिनी को प्रगट कर दिया। यह देख काम पर विजय प्राप्त करने की बात करने वाले नारद काम के अधीन हो विश्वमोहिनी पर मोहित हो गए और भगवान से उनका सुंदर रूप मांगा, जिससे वह भी सुमन जी को प्राप्त कर सके। भगवान ने उन्हें बंदर का मुख दे दिया और विश्वमोहिनी को सभा में उपस्थित हो, स्वयं प्राप्त कर लिया।
उस समय नारद जी को बहुत क्रोध आया। उन्होंने भगवान को श्राप भी दे दिया। बाद में नारद जी को बहुत ग्लानि हुई कि भगवान ने मुझे मेरा पतन होने से बचा लिया। इस प्रकार नारद जी का अभिमान समाप्त हो गया। भगवान किसी का भी अभिमान सहन नहीं करते। अभिमान ही भगवान का भोजन है। प्रोफेसर हरकेश सिंह, राजेश्वर सिंह, जितेंद्र प्रताप सिंह, संजय दुबे, उमेश सिंह, संतोष गुप्ता, अरविंद उपाध्याय, मुकेश सिंह, लीलावती, उषा, आरती, किरण, हरिओम आदि मौजूद रहे।
उमेश सिंह
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