बलिया। वरिष्ठ रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने कहा कि रंगमंच एक गंभीर सामाजिक कर्म है। यह अभिव्यक्ति का वह माध्यम है, जिससे हम समाज को एक दिशा देते हैं। समाज की विडम्बनाओं को नाटक के माध्यम से जब कलाकार रंगमंच पर प्रस्तुत करता है तो उसका असर सीधे दर्शकों पर पड़ता है। इसका कारण है कि रंगमंच एक जीवंत माध्यम है। इसमें कलाकार और दर्शक दोनों आमने-सामने जीवंत रूप में मौजूद रहते हैं। बदलते परिवेश में जहां मानवीय संबंध टूट रहे हैं।समाज से संवेदनाएं खत्म हो रही है। ऐसे में रंगमंच की प्रासंगिकता पहले से बढ़ गई है। विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने कहा कि आज रंगमंच नाट्य विधा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण में भी रंगमंच की महत्वपूर्ण भूमिका है। यदि बच्चों को शुरू से ही रंगमंच का विधिवत प्रशिक्षण दिया जाय तो उनके व्यक्तित्व में गुणात्मक परिवर्तन होता है। बच्चों में समूह बोध की संस्कृति विकसित होती है।
एक नजर में आशीष त्रिवेदी
लगभग दो दशक पहले संकल्प साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था का गठन कर रंगमंच पर सक्रिय आशीष त्रिवेदी हमेशा समाज को कुछ बेहतर देने की कोशिश करते है। इनके निर्देशन में दो दर्जन से अधिक नाटकों की प्रस्तुति पूरे देश भर में हो चुकी है। इनके अथक प्रयास से बलिया में प्रति वर्ष राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव का आयोजन होता है। दर्जनों संस्थाओं से सम्मानित आशीष त्रिवेदी को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से फेलोशिप अवार्ड भी मिल चुका है। रंगमंच के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले आशीष रंग आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर आशीष ने जनपद के सभी रंगकर्मियों और रंगप्रेमियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
0 Comments