हर शख्स का अपना ही इश्तिहार देखकर
सिक्के भी खोटे, चल गये बाजार देखकर
सिक्के भी खोटे, चल गये बाजार देखकर
अंधा है कम और गन्दा बहुत ही ज्यादा
होती है हैरत आजकल का प्यार देखकर
इलाज मां ने बच्चों का अब तक किया जिससे
हैरां हूं शिक्षा चौपाल में उन चप्पलों मार देखकर
इतरा रहे थे खूब जो, फेसबुक पर देख फोटो
मायूस हो गए तस्वीर कार्ड-ए-आधार देखकर
इश्क करना ही होगा अब तो शायरी के लिए
बुरा लगता है कलम को बेरोजगार देखकर
मन पर घाव लगे कितने वो जानता ही नही
खुश है बहुत मुझे बेबस और लाचार देखकर
शालिनी श्रीवास्तव
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