बलिया। आजकल शादी ब्याह के सीजन में अन्य अनुष्ठानों के साथ एक संकल्प की और आवश्यकता है, और वह है हमारे पर्यावरण को सुरक्षित रखने के उपायों का पालन करना। पहले हमें पर्यावरण के मित्र अर्थात 'इको फ्रेंडली' को समझना होगा। यदि हम चाय पीने के लिये प्लास्टिक गिलास का उपयोग करते हैं तो वह फेंकने के बाद वर्षो तक नष्ट नहीं होता और हमारे पर्यावरण में नहीं घुलता। इसके विपरीत मिट्टी के भांड, पुरवे, पत्तो के बने पत्तल, केले के पत्ते खाने के बाद हमारे पर्यावरण में मिल जाते हैं और इसे सुरक्षित रखते हैं। यही है 'इको फ्रेंडली'।
पीएन इंटर कालेज दूबेछपरा के प्रवक्ता सुधांशु प्रकाश मिश्र ने कहा है कि यदि हमारे आस-पास का पर्यावरण स्वच्छ है तो हम खुद मानसिक और शारिरिक रुप से स्वस्थ रहते हैं। उदाहरण के लिये बलिया शहर में चौक की ओर जितने रास्ते जाते थे उसपर अंग्रेज़ी शासन में नीम के पेड़ लगा दिये गये थे। इससे छाया और आक्सीजन दोनों मिलते थे। कालांतर में शहर की आबादी तो बढने लगी पर पेड़ काटे जाने लगे, जिससे शहर का तापमान ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में लगभग 5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाता है। यह एक छोटा सा उदाहरण है, जिसका परिणाम सामने है। इसी प्रकार प्रकाश के लिये ज्यादा से ज्यादा एलिडी बल्बो का प्रयोग हमारे पर्यावरण को ठंडा रखने में कारगर हो सकता है। इस प्रकार स्वयं छोटे छोटे उपायों से हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं।
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