बलिया। पीएन इंटर कालेज दूबेछपरा के प्रवक्ता सुधांशु प्रकाश मिश्र ने केन्द्रीय बजट 2022-23 में शिक्षा के नाम पर हुए आवंटन को निराशाजनक है। कहा है कि नयी शिक्षा नीति 2020 में यह प्रावधान किया गया है कि देश अपनी जीडीपी का 6% शिक्षा के ऊपर खर्च करेगा, पर अभी यह इसकी आधी अर्थात् 3.1% के आसपास लटकी हुई है। नयी शिक्षा नीति को कार्यान्वित करने के लिये शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिये आवंटन अधिक होना चाहिए था, पर इसे बढाने की बजाय घटा दिया गया है। प्राथमिक शिक्षा में 'मीड डे मील' जिसे प्रधानमंत्री पोषण के नाम से जाना जायेगा, आवंटन कम किया गया है, जबकि कोरोना काल में अभिभावकों की आय घटने से सरकारी विद्यालयों में छात्रों की संख्या बढी है। कहा कि देश मे बी.एड और नेट छात्रों की बढती संख्या को देखते हुए शिक्षा के क्षेत्र मे रोजगार बढाने की बजाय 'मानव शिक्षक' की जगह 'डिजिटल शिक्षक' की स्थापना एक अदूरदर्शितापूर्ण कदम होगा। भारत जैसे देश में यह शिक्षा पूर्णतया अव्यावहारिक है। कोरोना काल में सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चों की शिक्षा हुई है। इसके लिये आवश्यक कदम उठाये जाने चाहिए थे, लेकिन यह बजट निराशाजनक दृश्य प्रस्तुत करता है। उच्च शिक्षा, यूजीसी, केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के लिये भी बजट निराशाजनक है।
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