दर्द दबाती है मुस्कान,
वाणी का जब हुआ असर ना
व्यंग बाण..... छोड़े मुस्कान।
अभिवादन में जब मुस्काएं
आगंतुक के दिल तक जाएं,
कार्य बड़ा छोटा हो जाए...
हंसकर जब हम बोझ उठाए।
दर्दे दिल की यही दवा है
कभी किसी का दिल न दुखाना
औरों की खुशियों के खातिर
बिना वजह ही तू मुस्काना।
दिल पर कोई बोझ न रखना
बातें कहीं... कहीं न कहना,
दिल की नाजुक दीवारों पर
दुःख की दूधिया नहीं लगाना।
हसीं वादियां सबको जचती
खुशियों का परिवेश बनाना,
सौ रोगों की एक दवा है
हंसते रहना और हंसाना।
डॉ. मिथिलेश राय, जनाड़ी बलिया की फेसबुकवाल से
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