बलिया। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डॉ. घनश्याम चौबे ने केंद्रीय बजट 2022 की समीक्षा करते हुए कहा कि यह बजट पूंजीपतियों के विकास का बजट है। इस आम बजट को बजट की अपेक्षा काल्पनिक साहित्य की संज्ञा दी जा सकती है। बजट में मध्यमवर्ग के लिए आयकर में छूट में बृद्धि की जानी चाहिए थी, क्योंकि इस वर्ग ने कोरोना काल में काफी नुकसान उठाया है। इस वर्ग में छोटे व्यापारी, शिक्षक, कर्मचारी और स्वरोजगार में लिप्त लोग हैं। इनका मनोबल बढाया जाना आवश्यक था। टैक्स स्लैब का दायरा बढा कर अर्थ व्यवस्था के विकास में तेजी लाई जा सकती थी।
शिक्षक नेता ने कहा कि इस बजट में जन सुविधाओं के लिए कोई चर्चा नहीं की गई है।आर्थिक सर्वे को देखा जाय तो गरीबी बढ़ी है और टैक्स का दायरा भी बढ़ा है। PPP मॉडल (प्राइवेट-पब्लिक-पार्टनरशिप) हर क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर के प्रादुर्भाव को अवसर मुहैया कराएगा, जबकि जन कल्याणकारी पब्लिक सेक्टर के लिए इस बजट में कोई प्राविधान नहीं है। कार्पोरेट टैक्स को कम कर पूंजीपतियों को बूस्टर डोज़ दिया गया है, जबकि नौकरी पेशा लोगों के लिए टैक्स स्लैब में कोई राहत नहीं दी गई है। नई शिक्षा नीति 2021 के आधारभूत ढाँचे को मजबूत करने के लिए इस बजट में कोई प्राविधान नही किया गया है। यह बजट जनसामान्य को आर्थिक शक्ति प्रदान करने में फेल है।
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