बलिया। कोरोना की सम्भावित तीसरी लहर को देखते हुए शासन-प्रशासन भले ही गंभीर दिख रहा हों, पर बलिया में धरातलीय सच डरावना है। यहां स्वास्थ्य विभाग ही व्यवस्था की बंधिया उधेड़ता नजर आ रहा है। यदि समय रहते जिला प्रशासन सजग नहीं हुआ तो कोविड की कौन कहें, सामान्य रोगियों को भी होम्योपैथिक दवा नहीं मिल सकेगी।
बता दें कि जिला होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी का कार्यालय 02 मई 2020 से सीएमओ आवास के बगल में स्थित एएनएम सेंटर के प्रथम तल पर संचालित हो रहा है। वैसे तो यहां एक दर्जन से अधिक कमरे है, लेकिन तत्कालीन सीएमओ ने जिला होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के लिए सिर्फ तीन कमरा दिया। फिर सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त की पहल पर 23 नवम्बर 2021 को सीएमओ ने होम्योपैथिक दवाओ को रखने व वितरण करने के लिए एक और कमरा होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी को आवंटित किया, लेकिन अब तक उन्हें मिला नहीं।
इस बीच, कोविड कीट के अलावा तमाम रोगों की होम्योपैथिक दवाएं शासन से भेज दी गई, लेकिन कमरे के अभाव में अमूल्य दवाएं बर्बाद हो रही है। गत्तों की पेटियों में रखी दवाएं न सिर्फ जिला होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय, बल्कि गैलरी तथा बरामदे में रखी गई है। पेटियां गिरने से काफी दवाईयां बर्बाद हो चुकी है। इसको लेकर जिला होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुरेश गोंड काफी परेशान है। बताया कि कोविड किट के अलावा तमाम औषधियां आई है, लेकिन रखने के लिए जगह नहीं है। मगर करें क्या, एएनएम सेंटर इंचार्ज ने सीएमओ द्वारा आवंटित कमरे की चॉबी होम्योपैथिक कार्यालय को उपलब्ध कराने में असमर्थता जता दी है। इसके पीछे का राज चाहे जो हो, पर धरातलीय सच यही दिख रहा है कि एएनएम सेंटर के कुछ कमरों को सीएमओ कार्यालय से जुड़े 'खास' लोगों ने अपना निजी आवास बना लिया है। हद तो यह है कि एएनएम सेंटर के प्रथम तल की खाली छत पर एक ने टीनशेड तक अपना डाल दिया है, लेकिन जिला प्रशासन मौन है। देखना है कि जिला प्रशासन शासन द्वारा उपलब्ध लावारिश पड़ी होम्योपैथिक कोविड किट व अन्य औषधियों की रख-रखाव के लिए जतन कर रहा है या फिर...।
रोहित सिंह मिथिलेश
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