डिप्टी कलेक्टर सर्वेश यादव ने सुझाव दिया कि इस कूड़ा निस्तारण केंद्र के चालू हो जाने के बाद रेवती के अलावा नजदीक के अन्य निकायों से भी कूड़ा आ सकता है। क्षमता के हिसाब से यहां वैज्ञानिक तरीके से कूड़ों का निस्तारण होगा। सबसे अहम बात कि गीले कूड़े से खाद भी बनाई जाएगी। अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो इसी को मॉडल बनाते हुए अन्य निकायों में भी इस तरह का प्रयास होगा। कार्य करा रहे एएफसी इंडिया के प्रतिनिधि अविनाश सिंह ने बताया कि प्लांट की क्षमता दस टन प्रतिदिन की है। इस प्लांट पर पहले कूड़े से प्लास्टिक, लोहा, शीशा व अन्य सामानों को अलग कर दिया जाएगा। उसके बाद आर्गेनिक मैटेरियल, यानि घरों से आने वाले गीले कूड़े से खाद बनाई जाएगी। नगर क्षेत्र से आने वाले कूड़े का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जाएगा।
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